लान्गुरिया तेरी एक ना मानूंगी

Deepak Kumar Bind

 

लान्गुरिया तेरी एक ना मानूंगी



लान्गुरिया तेरी एक ना मानूंगी,

भवन मे छम छम नाचूँगी।।


भवन मे तूं कैसे जाओगी,

वहां पे तेरा ससुरा मिल जायेगा,

ससुर से, ससुर से, परदा कर लुंगी,

भवन मे छम छम नाचूँगी।।


भवन मे तूं कैसे जाओगी,

वहां पे तेरा जेठा मिल जायेगा,

जेठ से, जेठ से, पीछा फेरुँगि,

भवन मे छम छम नाचूँगी।।


भवन मे तूं कैसे जाओगी,

वहां पे तेरा देवर मिल जायेगा,

वहां पे तेरा न्ंदोई मिल जायेगा,

नंदोई को, देवर को, संग ना चालुन्गी,

भवन मे छम छम नाचूँगी।।


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