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स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज का जीवन परिचय लिरिक्स - Bhaktilok



स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज का जीवन परिचय लिरिक्स 


स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज का जन्म २९ अगस्त, १८५६ को हुआ था। उनका असली नाम गंगाधर नाथ था। उनके पिता का नाम गंगाधर त्रिपाठी था, जो एक पंडित थे। उनका जन्म बंगाल के गोराखपुर गाँव में हुआ था।

गंगाधर नाथ को बचपन से ही आध्यात्मिकता की ओर आकर्षण था। उन्होंने बाल्यकाल से ही वेदांत की अध्ययन किया और संतों के संग रहकर आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया।

स्वामी अड़गड़ानंद जी का वास्तविक नाम 'गंगाधर नाथ' था, जिन्होंने १८८७ में संन्यास ले लिया और उन्हें 'स्वामी अड़गड़ानंद' का नाम प्राप्त हुआ।

उन्होंने विवेकानंद के माध्यम से रामकृष्ण मिशन की स्थापना में भाग लिया और उनके शिष्य के रूप में भारतीय समाज को उनके विचारों की ओर प्रेरित किया।

स्वामी अड़गड़ानंद जी ने अपने जीवन के दौरान ध्यान, तप, और सेवा में अपना समय व्यतीत किया। उनके उपदेशों में भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के महत्व को बढ़ावा देने की भावना थी। उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की और लोगों को उनके विचारों के माध्यम से जीवन में आध्यात्मिकता की महत्वता को समझाया।

स्वामी अड़गड़ानंद जी की मृत्यु २० जून, १९२३ को हुई, लेकिन उनके विचार और उपदेश आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं। उन्होंने भारतीय समाज को एक महान आध्यात्मिक गुरु के रूप में एक दिशा दी, जिसका प्रभाव आज भी महसूस किया जा सकता है।

यथार्थ गीता क्या है (Yatharth Geeta Kya Hai) -

"यथार्थ गीता" वास्तविकता के रूप में भागवत गीता का एक प्रसिद्ध हिंदी अनुवाद है। इसे स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज ने संग्रहित किया था। यह ग्रंथ भगवद गीता के संस्कृत श्लोकों का हिंदी में अनुवाद और व्याख्या प्रदान करता है।

"यथार्थ गीता" में भगवद गीता के प्रमुख धार्मिक और तात्त्विक सिद्धांतों को समझने में मदद मिलती है। इस अनुवाद में भगवद गीता के संदेश को सामान्य लोगों के लिए सरल भाषा में समझाया गया है, जिससे आम लोग उसका आसानी से लाभ उठा सकें।

"यथार्थ गीता" अन्य अनुवादों की तुलना में अधिक समझने योग्य और स्पष्ट है, और आध्यात्मिक साधना के मार्ग पर चर्चा करते हुए व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करता है।
परमहंस आश्रम तक कैसे पहुँचा जाए (Paramhans Aashram Tak Kaise Pahucha Jaay) -

परमहंस आश्रम तक पहुंचने के लिए आप निम्नलिखित कदम अनुसार चल सकते हैं:

आश्रम के स्थान का पता लगाएं: सबसे पहला कदम यह है कि आपको परमहंस आश्रम के स्थान का पता लगाना होगा। आश्रम का स्थान आपके शहर या नगर में हो सकता है या किसी दूसरे स्थान पर भी हो सकता है।


आश्रम के योजना और सुविधाओं की जाँच करें: जब आपको आश्रम का पता लग जाता है, तो आपको उसकी योजना, सुविधाएँ और अन्य विवरणों की जाँच करनी चाहिए। यह आपको यह जानने में मदद करेगा कि आपको कैसे आश्रम में अपने आगमन की तैयारियाँ करनी होंगी।


आश्रम के संपर्क में आएं: आपको आश्रम के संपर्क में आने के लिए विभिन्न तरीके हो सकते हैं, जैसे कि फोन नंबर, ईमेल, वेबसाइट आदि। आप आश्रम के प्रशासन से संपर्क करके आगे की प्रक्रिया के बारे में जान सकते हैं।


आश्रम का योजना बनाएं: जब आपको आश्रम के संपर्क में आने के बारे में समझ आ जाती है, तो आप आगे की प्रक्रिया के लिए एक योजना बना सकते हैं। इसमें आपको अपने यात्रा की तारीख, स्थान, और सामग्री के साथ किसी भी अन्य तैयारियों को शामिल करना हो सकता है।


आश्रम में आगमन करें: आखिरकार, आप अपने योजना के अनुसार आश्रम में अपने आगमन का आयोजन कर सकते हैं। जब आप आश्रम पहुंचते हैं, तो आपको आश्रम के नियमों और नियमावलियों का पालन करने की आवश्यकता होगी और आप आध्यात्मिक साधना के लिए अपने स्थिति को स्थापित कर सकते हैं।

इस तरह, आप परमहंस आश्रम तक पहुंच सकते हैं। यहाँ आपको आध्यात्मिक ज्ञान, संगति का मौका, और आंतरिक शांति की अनुभूति के अवसर मिलेंगे।

परमहंस आश्रमआश्रम का पता: (Paramhans Aashram Ka Pata ) -

परमहंस आश्रम का पता भारत के विभिन्न भागों में हो सकता है, क्योंकि यह कई स्थानों पर स्थापित हो सकता है। परमहंस आश्रम अक्सर आध्यात्मिक गतिविधियों, सत्संग, ध्यान, और धार्मिक शिक्षा के लिए स्थानीय समुदाय के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र होता है।

परमहंस आश्रम के पते को ढूंढने के लिए आप अपने निकटतम धार्मिक संगठनों या आध्यात्मिक संगठनों से संपर्क कर सकते हैं, या इंटरनेट की सहायता ले सकते हैं। ध्यान दें कि यह आश्रम विभिन्न स्थानों पर हो सकते हैं, और उनके पते स्थान के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।

स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज का आश्रम मिर्जापुर जिले (वाराणसी के पास), उत्तर प्रदेश राज्य, भारत में स्थित है।

परमहंस आश्रम सड़क मार्ग से कैसे पहुँचें (Paramhans Aashram Sadak Marg Se Kaise Pahuche) -

परमहंस आश्रमसड़क आमतौर पर शहरों में स्थित होता है, इसलिए आपको उस निर्दिष्ट स्थान तक पहुंचने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने होंगे:

ठीक से पता करें: पहले तो आपको परमहंस आश्रमसड़क का स्थान ठीक से पता करना होगा। इसके लिए आप इंटरनेट या मानचित्र का सहारा ले सकते हैं।


सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें: अगर आपके पास खुद का वाहन नहीं है, तो आप सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कर सकते हैं जैसे कि बस, मेट्रो, टैक्सी या ऑटो।


निर्देशांक प्राप्त करें: यदि आप स्वयं नहीं जा सकते और उपयुक्त ट्रांसपोर्ट का उपयोग कर रहे हैं, तो आपको संबंधित स्थान पर जाने के लिए निर्देशांक प्राप्त करने के लिए पूछ सकते हैं।


निजी वाहन: यदि आपके पास वाहन है, तो आपको अपने निजी वाहन का उपयोग करके सीधे पहुंच जा सकते हैं।


अवसरों का पता लगाएं: यदि आपके पास किसी जन्मदिन, विवाह या किसी अन्य आयोजन के लिए आश्रम पहुंचने की आवश्यकता है, तो आपको आयोजन के समय और स्थान का पता करना होगा।


आस-पास के संरचनाओं की मदद लें: आप आस-पास के जगहों जैसे कि हॉस्पिटल, पोस्ट ऑफिस, या पार्किंग लॉट की मदद ले सकते हैं ताकि आप आसानी से आश्रम तक पहुंच सकें।

परमहंस आश्रमसड़क के स्थान और आपके वर्तमान स्थान के बीच विस्तारित जानकारी के लिए स्थानीय निर्देशिका या इंटरनेट से सहायता लें।

श्री परमहंस आश्रम

शक्तिषगढ, चुनार-राजघाट रोड,

जिला मिर्जापुर (यूपी), भारत

आश्रम तक पहुँचना बहुत आसान है, कोई भी व्यक्ति आश्रम तक सड़क यात्रा, रेल मार्ग या वायु मार्ग किसी के भी द्वारा पहुँच सकता है।

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