मुझे रास आ गया है तेरे दर पे सर झुकाना

Deepak Kumar Bind

मुझे रास आ गया है तेरे दर पे सर झुकाना 


मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना ।
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया ठिकाना ॥

मुझे कौन जानता था तेरी बंदगी से पहले ।
तेरी याद ने बना दी मेरी ज़िन्दगी फ़साना ॥

मुझे इसका गम नहीं है की बदल गया ज़माना ।
मेरी ज़िन्दगी के मालिक कहीं तुम बदल न जाना ॥

यह सर वो सर नहीं है जिसे रख दूँ फिर उठा लूं ।
जब चढ़ गया चरण में आता नहीं उठाना ॥

तेरी सांवरी सी सुरत मेरे मन में बस गयी है ।
ऐ सांवरे सलोने अब और ना सताना ॥

दुनियां की खा के ठोकर मैं आया तेरे द्वारे ।
मेरे मुरली वाले मोहन, अब और ना सताना ॥

मेरी आरजु यही है दम निकले तेरे दर पे ।
अभी सांस चल रही है कहीं तुम चले ना जाना ॥

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