मंगल भवन अमंगल हारी भजन इन हिंदी लिरिक्स

Deepak Kumar Bind

मंगल भवन अमंगल हारी भजन इन हिंदी लिरिक्स



मंगल भवन अमंगल हारी
द्रबहु सुदसरथ अचर बिहारी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम - २

हो, होइहै वही जो राम रचि राखा
को करे तरफ़ बढ़ाए साखा

हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी
आपद काल परखिये चारी

हो, जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू
सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू

हो, जाकी रही भावना जैसी
रघु मूरति देखी तिन तैसी

रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई
राम सिया राम सिया राम जय जय राम

हो, हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
कहहि सुनहि बहुविधि सब संता
राम सिया राम सिया राम जय जय राम !!

Post a Comment

0Comments

If you liked this post please do not forget to leave a comment. Thanks

Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !