नमामीशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् (Namaam-Iisham-Iishaana Nirvaanna Ruupam Lyrics in Hindi) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् (Namaam-Iisham-Iishaana Nirvaanna Ruupam Lyrics in Hindi) - Bhaktilok

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् 


नमामीशमीशान निर्वाण रूपं विभुं 

व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं 

चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥


निराकार मोंकार मूलं तुरीयं 

गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।


करालं महाकाल कालं कृपालुं 

गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥


तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं 

मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।

स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू 

गंगा लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥


चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं 

प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।


मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं 

प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥


प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं 

अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।

त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं 

भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥


कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी 

सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।

चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी 

प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥


न यावद् उमानाथ पादारविन्दं 

भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।

न तावद् सुखं शांति सन्ताप 

नाशं प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥


न जानामि योगं जपं नैव पूजा 

न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।

जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं 

प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥


रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये

ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।।


 ॥  इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥



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