दुर्गा अमृतवाणी लिरिक्स (Durga Amritwani Lyrics in Hindi) – Anuradha Paudwal Maa Durga Amritvani - Bhaktilok
मंगलमयी भय मोचिनी दुर्गा सुख की खानजिसके चरणों की सुधा स्वयं पिये भगवानदुःखनाशक संजीवनी नवदुर्गा का पाठजिससे बनता भिक्षुक भी दुनिया का सम्राटअम्बा दिव्या स्वरूपिणी का ऐसो प्रकाशपृथ्वी जिससे ज्योतिर्मय उज्जव्वल है आकाशदुर्गा परम सनातनी जग की सृजनहारआदि भवानी महादेवी सृष्टि का आधारजय जय दुर्गे माँ जय जय दुर्गे माँसदमार्ग प्रदर्शनी न्यान का ये उपदेशमन से करता जो मनन उसके कटे कलेशजो भी विपत्ति काल में करे दुर्गा जापपूर्ण हो मनोकामना भागे दुःख संतापउत्पन्न करता विश्व की शक्ति अपरम्पारइसका अर्चन जो करे भव से उतरे पारदुर्गा शोकविनाशिनी ममता का है रूपसती साध्वी सतवंती सुख की कला अनूपजय जय दुर्गे माँ जय जय दुर्गे माँविष्णु ब्रह्मा रूद्र भी दुर्गा के है अधीनबुद्धि विद्या वरदानी सर्वसिद्धि प्रवीणलाख चौरासी योनियां से ये मुक्ति देमहामाया जगदम्बिके जब भी दया करेदुर्गा दुर्गति नाशिनी सिंघवाहिनी सुखकारवेदमाता ये गायत्री सबकी पालनहारसदा सुरक्षित वो जन है जिस पर माँ का हाथविकट डगरिया पे उसकी कभी ना बिगड़े बातजय जय दुर्गे माँ जय जय दुर्गे माँमहागौरी वरदायिनी मैया दुःख निदानशिवदूती ब्रह्मचारिणी करती जग कल्याणसंकटहरणी भगवती की तू माला फेरचिंता सकल मिटाएगी घडी लगे ना देरपारस चरणन दुर्गा के जग जग माथा टेकसोना लोहे को करे अद्भुत कौतक देखभवतारक परमेश्वरि लीला करे अनंतइसके वंदन भजन से पापो का हो अंतजय जय दुर्गे माँ जय जय दुर्गे माँजय जय दुर्गे माँ जय जय दुर्गे माँजय जय दुर्गे माँ जय जय दुर्गे माँजय जय दुर्गे माँ जय जय दुर्गे माँ2. Durga Maa Dukh Harne Wali Durga Amritwani Lyrics
दुर्गा माँ दुःख हरने वालीमंगल मंगल करने वालीभय के सर्प को मारने वालीभवनिधि से जग तारने वालीअत्याचार पाखंड की दमिनीवेद पुराणों की ये जननीदैत्य भी अभिमान के मारेदीन हीन के काज संवारेसर्वकलाओं की ये मालिकशरणागत धनहीन की पालकइच्छित वर प्रदान है करतीहर मुश्किल आसान है करतीभ्रामरी हो हर भ्रम मिटावेकण-कण भीतर कजा दिखावेकरे असम्भव को ये सम्भवधन धान्य और देती वैभवमहासिद्धि महायोगिनी मातामहिषासुर की मर्दिनी मातापूरी करे हर मन की आशाजग है इसका खेल तमाशाजय दुर्गा जय-जय दमयंतीजीवन-दायिनी ये ही जयन्तीये ही सावित्री ये कौमारीमहाविद्या ये पर उपकारीसिद्ध मनोरथ सबके करतीभक्त जनों के संकट हरतीविष को अमृत करती पल मेंयही तारती पत्थर जल मेंइसकी करुणा जब है होतीमाटी का कण बनता मोतीपतझड़ में ये फूल खिलावेअंधियारे में जोत जलावेवेदों में वर्णित महिमा इसकीऐसी शोभा और है किसकीये नारायणी ये ही ज्वालाजपिए इसके नाम की मालाये ही है सुखेश्वरी माताइसका वंदन करे विधातापग-पंकज की धूलि चंदनइसका देव करे अभिनंदनजगदम्बा जगदीश्वरी दुर्गा दयानिधानइसकी करुणा से बने निर्धन भी धनवानछिन्नमस्ता जब रंग दिखावेभाग्यहीन के भाग्य जगावेसिद्धि दात्री आदि भवानीइसको सेवत है ब्रह्मज्ञानीशैल-सुता माँ शक्तिशालाइसका हर एक खेल निरालाजिस पर होवे अनुग्रह इसकाकभी अमंगल हो ना उसकाइसकी दया के पंख लगाकरअम्बर छूते है कई जाकरराय को ये ही पर्वत करतीगागर में है सागर भरतीइसके कब्जे जग का सब हैशक्ति के बिना शिव भी शव हैशक्ति ही है शिव की मायाशक्ति ने ब्रह्मांड रचायाइस शक्ति का साधक बननानिष्ठावान उपासक बननाकुष्मांडा भी नाम इसकाकण-कण में है धाम इसकादुर्गा माँ प्रकाश स्वरूपाजप-तप ज्ञान तपस्या रूपामन में ज्योत जला लो इसकीसाची लगन लगा लो इसकीकालरात्रि ये महामायाश्रीधर के सिर इसकी छायाइसकी ममता पावन झुलाइसको ध्यानु भक्त ना भुलाइसका चिंतन चिंता हरताभक्तो के भंडार है भरतासाँसों का सुरमंडल छेड़ोनवदुर्गा से मुंह न मोड़ोचन्द्रघंटा कात्यानीमहादयालू महाशिवानीइसकी भक्ति कष्ट निवारेभवसिंधु से पार उतारेअगम अनंत अगोचर मैयाशीतल मधुकर इसकी छैयासृष्टि का है मूल भवानीइसे कभी न भूलो प्राणीदुर्गा माँ प्रकाश स्वरूपाजप तप ज्ञान तपस्या रूपामन में ज्योत जला लो इसकीसाची लगन लगा लो इसकीदुर्गा की कर साधना मन में रख विश्वासजो मांगोगे पाओगे क्या नहीं मेरी माँ के पासखड्ग-धारिणी हो जब आईकाल रूप महा-काली कहाईशुम्भ निशुम्भ को मार गिरायादेवों को भय-मुक्त बनायाअग्निशिखा से हुई सुशोभितसूरज की भाँती प्रकाशितयुद्ध-भूमि में कला दिखाईदानव बोले त्राहि-त्राहिकरे जो इसका जाप निरंतरचले ना उस पर टोना मंत्रशुभ-अशुभ सब इसकी मायाकिसी ने इसका पार ना पायाइसकी भक्ति जाए ना निष्फलमुश्किल को ये डाले मुश्किलकष्टों को हर लेने वालीअभयदान वर देने वालीधन लक्ष्मी हो जब आतीकंगाली है मुंह छुपातीचारों और छाए खुशाहलीनजर ना आये फिर बदहालीकल्पतरु है महिमा इसकीकैसे करू मै उपमा इसकीफल दायिनी है भक्ति जिसकीसबसे न्यारी शक्ति उसकीअन्नपूर्णा अन्न-धनं को देतीसुख के लाखों साधन देतीप्रजा-पालक इसे ध्यातेनर-नारायण भी गुण गातेचम्पाकली सी छवि मनोहरइसकी दया से धर्म धरोहरत्रिभुवन की स्वामिनी ये हैयोगमाया गजदामिनी ये हैरक्तदन्ता भी इसे है कहतेचोर निशाचर दानव डरतेजब ये अमृत-रस बरसावेमृत्युलोक का भय ना आवेकाल के बंधन तोड़े पल मेंसांस की डोरी जोड़े पल मेंये शाकम्भरी माँ सुखदायीजहां पुकारू वहां सहाईविंध्यवासिनी नाम सेकरे जो निशदिन यादउसे ग्रह में गूंजता हर्ष का सुरमय नादये चामुण्डा चण्ड-मुण्ड घातीनिर्धन के सिर ताज सजातीचरण-शरण में जो कोई जाएविपदा उसके निकट ना आयेचिंतपूर्णी चिंता है हरतीअन्न-धनं के भंडारे भरतीआदि-अनादि विधि विधानाइसकी मुट्ठी में है जमानारोली कुम -कुम चन्दन टीकाजिसके सम्मुख सूरज फीकाऋतुराज भी इसका चाकरकरे आराधना पुष्प चढ़ाकरइंद्र देवता भवन धुलावेनारद वीणा यहाँ बजावेतीन लोक में इसकी पूजामाँ के सम न कोई भी दूजाये ही वैष्णो आदिकुमारीभक्तन की पत राखनहारीभैरव का वध करने वालीखण्डा हाथ पकड़ने वालीये करुणा का न्यारा मोतीरूप अनेकों एक है ज्योतिमाँ वज्रेश्वरी कांगड़ा वालीखाली जाए ना कोई सवालीये नरसिंही ये वाराहीनेहमत देती ये मनचाहीसुख समृद्धि दान है करतीसबका ये कल्याण है करतीमयूर कही है वाहन इसकाकरते ऋषि आहवान इसकामीठी है ये सुगंध पवन मेंइसकी मूरत राखो मन मेंनैना देवी रंग इसी कापतितपावन अंग इसी काभक्तो के दुःख लेती ये हैनैनो को सुख देती ये हैनैनन में जो इसे बसातेबिन मांगे ही सब कुछ पातेशक्ति का ये सागर गहरादे बजरंगी द्वार पे पहराइसके रूप अनूप की समता करे ना कोयपूजे चरण-सरोज जो तन मन शीतल होयकालीका रूप में लीला करतीसभी बलाएं इससे डरतीकही पे है ये शांत स्वरूपाअनुपम देवी अति अनूपाअर्चना करना एकाग्र मन सेरोग हरे धनवंतरी बन केचरणपादुका मस्तक धर लोनिष्ठा लगन से सेवा कर लोमनन करे जो मनसा माँ कागौरव उत्तम पाय जवाकामन से मनसा-मनसा जपनापूरा होगा हर इक सपनाज्वाला-मुखी का दर्शन कीजोभय से मुक्ति का वर लीजोज्योति यहाँ अखण्ड हो जलतीजो है अमावस पूनम करतीश्रद्धा -भाव को कम ना करनादुःख में हंसना गम ना करनाघट-घट की माँ जाननहारीहर लेती सब पीड़ा तुम्हारीबगलामुखी के द्वारे जानामनवांछित ही वैभव पानाउसी की माया हंसना रोनाउससे बेमुख कभी ना होनाशीतल-शीतल रस की धाराकर देगी कल्याण तुम्हाराधुनी वहां पे रमाये रखनामन से अलख जगाये रखनाभजन करो कामाख्या जी काधाम है जो माँ पार्वती कासिद्ध माता सिद्धेश्वरी हैराजरानी राजेश्वरी हैधूप दीप से उसे मनानाश्यामा गौरी रटते जानाउकिनी देवी को जिसने आराधादूर हुई हर पथ की बाधानंदा देवी माँ जो ध्याओगेसच्चा आनंद वही पाओगेकौशिकी माता जी का द्वारादेगा तुझको सदा सहाराहरसिद्धि के ध्यान में जाओंगे जब खोसिद्ध मनोरथ सब तुम्हरे पल में जायेंगे होमहालक्ष्मी को पूजते रहियोधन सम्पत्ति पाते ही रहिओघर में सच्चा सुख बरसेगाभोजन को ना कोई तरसेगाजिव्ह्दानी करते जो चिंतनछुट जायेंगे यम के बंधनमहाविद्या की करना सेवाज्ञान ध्यान का पाओगे मेवाअर्बुदा माँ का द्वार निरालापल में खोले भाग्य का तालासुमिरन उसका फलदायककठिन समय में होए सहायकत्रिपुर-मालिनी नाम है न्याराचमकाए तकदीर का तारादेविकानाभ में जाकर देखोस्वर्ग-धाम वो माँ का देखोपाप सारे धोती पल मेंकाया कुंदन होती पल मेंसिंह चढ़ी माँ अम्बा देखोशारदा माँ जगदम्बा देखोलक्ष्मी का वहां प्रिय वासापूरी होती सब की आशाचंडी माँ की ज्योत जगानासच्चा सेवी समझ वहां जानादुर्गा भवानी के दर जाकेआस्था से एक चुनर चढ़ा केजग की खुशियाँ पा जाओगेशहंशाह बनकर आ जाओगेवहां पे कोई फेर नहीं हैदेर तो है अंधेर नहीं हैकैला देवी करौली वालीजिसने सबकी चिंता टालीलीला माँ की अपरम्पाराकरके ही विशवास तुम्हाराकरणी माँ की अदभुत करणीमहिमा उसकी जाए ना वरणीभूलो ना कभी चौथ की माताजहाँ पे कारज सिद्ध हो जाताभूखो को जहाँ भोजन मिलताहाल वो जाने सबके दिल कासप्तश्रंगी मैया की साधना कर दिन रैनकोष भरेंगे रत्नों से पुलकित होंगे नैनमंगलमयी सुख धाम है दुर्गाकष्ट निवारण नाम है दुर्गासुख्दरूप भव तरिणी मैयाहिंगलाज भयहारिणी मैयारमा उमा माँ शक्तिशालादैत्य दलन को भई विकरालाअंत:करण में इसे बसालोमन को मंदिर रूप बनालोरोग शोक बाहर कर देतीआंच कभी ना आने देतीरत्न जड़ित ये भूषण धारीदेवता इसके सदा आभारीधरती से ये अम्बर तक हैमहिमा सात समंदर तक हैचींटी हाथी सबको पालेचमत्कार है बड़े निरालेमृत संजीवनी विध्यावालीमहायोगिनी ये महाकालीसाधक की है साधना ये हीजपयोगी आराधना ये हीकरुणा की जब नजर घुमावेकीर्तिमान धनवान बनावेतारा माँ जग तारने वालीलाचारों की करे रखवालीकही बनी ये आशापुरनीआश्रय दाती माँ जगजननीये ही है विन्धेश्वारी मैयाहै वो जगभुवनेश्वरी मैयाइसे ही कहते देवी स्वाहासाधक को दे फल मनचाहाकमलनयन सुरसुन्दरी माताइसको करता नमन विधातावृषभ पर भी करे सवारीरुद्राणी माँ महागुणकारीसर्व संकटो को हर लेतीविजय का विजया वर है देतीयोगकला जप तप की दातीपरमपदों की माँ वरदातीगंगा में है अमृत इसकाआत्म बल है जागृत इसकाअन्तर्मन में अम्बिके रखे जो हर ठौरउसको जग में देवता भावे ना कोई औरपदमावती मुक्तेश्वरी मैयाशरण में ले शरनेश्वरी मैयाआपातकाल रटे जो अम्बाथामे हाथ ना करत विलम्बामंगल मूर्ति महा सुखकारीसंत जनों की है रखवारीधूमावती के पकड़े पग जोवश में करले सारे जग कोदुर्गा भजन महा फलदायीप्रलय काल में होत सहाईभक्ति कवच हो जिसने पहनावार पड़े ना दुःख का सहनामोक्षदायिनी माँ जो सुमिरेजन्म मरण के भव से उबरेरक्षक हो जो क्षीर भवानीचले काल की ना मनमानीजिस ग्रह माँ की ज्योति जागेतिमर वहां से भय से भागेदुखसागर में सुखी जो रहनादुर्गा नाम जपो दिन रैनाअष्ट-सिद्धि नौ निधियों वालीमहादयालु भद्रकालीसपने सब साकार करेगीदुखियों का उद्धार करेगीमंगला माँ का चिंतन कीजोहरसिद्धि ते हर सुख लीजोथामे रहो विश्वास की डोरीपकड़ा देगी अम्बा गौरीभक्तो के मन के अंदररहती है कण -कण के अंदरसूरज चाँद करोड़ो तारेज्योत से ज्योति लेते सारेवो ज्योति है प्राण स्वरूपातेज वही भगवान स्वरूपाजिस ज्योति से आये ज्योतिअंत उसी में जाए ज्योतिज्योति है निर्दोष निरालीज्योति सर्वकलाओं वालीज्योति ही अन्धकार मिटातीज्योति साचा राह दिखातीअम्बा माँ की ज्योति में तू ब्रह्मांड को देखज्योति ही तो खींचती हर मस्तक की रेख
3. Jagdamba Jagtarini Durga Amritwani Lyrics
जगदम्बा जगतारिणी जगदाती जगपालइसके चरणन जो हुए उन पर होए दयालमाँ की शीतल छाँव में स्वर्ग सा सुखहोयेजिसकी रक्षा माँ करे मार सके ना कोयकरुणामयी कापालिनी दुर्गा दयानिधानजैसे जिसकी भावना वैसे दे वरदानमातृ श्री महाशारदे नमता देत अपारहानि बदले लाभ में जब ये हिलावे तारजय जय आंबे माँ जय जगदम्बे माँनश्वर हम खिलौनों की चाबी माँ के हाथजैसे इशारा माँ करे नाचे हम दिन-रातभाग्य लिखे भाग्येश्वरी लेकर कलम-दवातकठपुतली के बस में क्या सब कुछ माँ के हाथपतझड़ दे या दे हमें खुशियों का मधुमासमाँ की मर्जी है जो दे हर सुख उसके पासमाँ करुणा की नाव पर होंगे जो भी सवारबाल भी बांका होए ना वैरी जो हो संसारजय जय आंबे माँ जय जगदम्बे माँमंगला माँ के भक्त के ग्रह में मंगलाचारकभी अमंगल हो नहीं पवन चले सुखकारशक्ति ही को लो शक्ति मिलती इसके धामकामधेनु के तुल्य है शिवशक्ति का नामचन्दन वृक्ष है एक भला बुरे है लाख बबूलबदी के कांटे छोड़ के चुन नेकी के फूलमाँ के चरण-सरोज की कलियों जैसे सुगंधस्वर्ग में भी ना होगा जो है यहाँ आनंदजय जय आंबे माँ जय जगदम्बे माँपाप के काले खेल में सुख ना पावे कोयकोयले की तो खान में सब कुछ काला होयनिकट ना आने दो कभी दुष्कर्मो के नागमानव चोले पर नहीं लगने दीजो दागनवदुर्गा के नाम का मनन करो सुखकारबिन मोल बिन दाम ही करेगी माँ उपकारभव से पार लगाएगी माँ की एक आशीषतभी तो माँ को पूजते श्री हरी जगदीशजय जय आंबे माँ जय जगदम्बे माँजय जय आंबे माँ जय जगदम्बे माँजय जय आंबे माँ जय जगदम्बे माँजय जय आंबे माँ जय जगदम्बे माँ
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