कबीर तन पंछी भया जहां मन तहां उडी जाइ दोहे का अर्थ(Kabir Tan Panchhi Bhaya Janha Man Tanha Udi Jaai Dohe Ka Arth in Hindi)

Deepak Kumar Bind

 

कबीर तन पंछी भया जहां मन तहां उडी जाइ दोहे का अर्थ(Kabir Tan Panchhi Bhaya Janha Man Tanha Udi Jaai Dohe Ka Arth in Hindi):-


कबीर तन पंछी भया, जहां मन तहां उडी जाइ।
जो जैसी संगती कर, सो तैसा ही फल पाइ।

 

कबीर तन पंछी भया जहां मन तहां उडी जाइ दोहे का अर्थ(Kabir Tan Panchhi Bhaya Janha Man Tanha Udi Jaai Dohe Ka Arth in Hindi)


कबीर तन पंछी भया जहां मन तहां उडी जाइ दोहे का अर्थ(Kabir Tan Panchhi Bhaya Janha Man Tanha Udi Jaai Dohe Ka Arth in Hindi):-

कबीर कहते हैं कि संसारी व्यक्ति का शरीर पक्षी बन गया है और जहां उसका मन होता है, शरीर उड़कर वहीं पहुँच जाता है। सच है कि जो जैसा साथ करता है, वह वैसा ही फल पाता है।



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