कबीर सुता क्या करे जागी न जपे मुरारी दोहे का अर्थ(Kabir Suta Kya Kare Jaagi Na Jape Murari Dohe Ka Arth in Hindi) :-
कबीर सुता क्या करे, जागी न जपे मुरारी ।
एक दिन तू भी सोवेगा, लम्बे पाँव पसारी ।
कबीर सुता क्या करे जागी न जपे मुरारी दोहे का अर्थ(Kabir Suta Kya Kare Jaagi Na Jape Murari Dohe Ka Arth in Hindi):-
कबीर दास जी कहते हैं कि तू क्यों हमेशा सोया रहता है, जाग कर ईश्वर की भक्ति कर, नहीं तो एक दिन तू लम्बे पैर पसार कर हमेशा के लिए सो जायेगा।
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