भज मन राम चरण सुखदाई (Bhaj man ram charn sukhdaai Lyrics in Hindi) - Ram Bhajan - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

भज मन राम चरण सुखदाई (Bhaj man ram charn sukhdaai Lyrics in Hindi) - 


भज मन राम चरण सुखदाई
जिहि चरननसे निकसी 
सुरसरि शंकर जटा समाई ।
जटासंकरी नाम परयो है, 
त्रिभुवन तारन आई ॥

जिन चरनन की चरनपादुका 
भरत रह्यो लव लाई ।
सोइ चरन केवट धोइ 
लीने तब हरि नाव चलाई ॥

सोइ चरन संत जन सेवत 
सदा रहत सुखदाई ।
सोइ चरन गौतमऋषि-नारी 
परसि परमपद पाई ॥

दंडकबन प्रभु पावन कीन्हो 
ऋषियन त्रास मिटाई ।
सोई प्रभु त्रिलोकके स्वामी 
कनक मृगा सँग धाई ॥

कपि सुग्रीव बंधु भय-ब्याकुल 
तिन जय छत्र फिराई ।
रिपु को अनुज बिभीषन 
निसिचर परसत लंका पाई ॥

सिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक 
सेष सहस मुख गाई ।
तुलसीदास मारुत-सुतकी 
प्रभु निज मुख करत बड़ाई ॥


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