संकट मोचन हनुमानाष्टक (Sankatmochan Hanuman Ashtak in Hindi ) - Bhakti lok

Deepak Kumar Bind

 



संकट मोचन हनुमानाष्टक (Sankatmochan Hanuman Ashtak in Hindi ) - Bhakti lok


॥ संकट मोचन हनुमानाष्टक ॥


बाल समय रवि भक्षी लियो तब

तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।

ताहि सों त्रास भयो जग को

यह संकट काहु सों जात न टारो ।

देवन आनि करी बिनती तब

छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।

को नहीं जानत है जग में कपि

संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥


बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि

जात महाप्रभु पंथ निहारो ।

चौंकि महामुनि साप दियो तब

चाहिए कौन बिचार बिचारो ।

कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु

सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥


अंगद के संग लेन गए सिय

खोज कपीस यह बैन उचारो ।

जीवत ना बचिहौ हम सो जु

बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।

हेरी थके तट सिन्धु सबे तब

लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥


रावण त्रास दई सिय को सब

राक्षसी सों कही सोक निवारो ।

ताहि समय हनुमान महाप्रभु

जाए महा रजनीचर मरो ।

चाहत सीय असोक सों आगि सु

दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥


बान लाग्यो उर लछिमन के तब

प्राण तजे सूत रावन मारो ।

लै गृह बैद्य सुषेन समेत

तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।

आनि सजीवन हाथ दिए तब

लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥


रावन जुध अजान कियो तब

नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।

श्रीरघुनाथ समेत सबै दल

मोह भयो यह संकट भारो I

आनि खगेस तबै हनुमान जु

बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥


बंधू समेत जबै अहिरावन

लै रघुनाथ पताल सिधारो ।

देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि

देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।

जाये सहाए भयो तब ही

अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥


काज किये बड़ देवन के तुम

बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।

कौन सो संकट मोर गरीब को

जो तुमसे नहिं जात है टारो ।

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु

जो कछु संकट होए हमारो ॥ ८ ॥


॥ दोहा ॥

लाल देह लाली लसे

अरु धरि लाल लंगूर ।

वज्र देह दानव दलन

जय जय जय कपि सूर ॥







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