मणिद्वीप वर्णनम् (Manidweepa Varnanam Lyrics in Hindi) - Manidweepa Varnana - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

मणिद्वीप वर्णनम् (Manidweepa Varnanam Lyrics in Hindi) - Manidweepa Varnana - Bhaktilok

मणिद्वीप वर्णनम् (Manidweepa Varnanam Lyrics in Hindi) - 


महाशक्ति मणिद्वीप निवासिनी

मुल्लोकालकु मूलप्रकाशिनी ।

मणिद्वीपमुलो मंत्ररूपिणी

मन मनसुललो कॊलुवैयुंदि ॥ 1 ॥


सुगंध पुष्पालॆन्नो वेलु

अनंत सुंदर सुवर्ण पूलु ।

अचंचलंबगु मनो सुखालु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 2 ॥


लक्षल लक्षल लावण्यालु

अक्षर लक्षल वाक्संपदलु ।

लक्षल लक्षल लक्ष्मीपतुलु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 3 ॥


पारिजातवन सौगंधालु

सूराधिनाधुल सत्संगालु ।

गंधर्वादुल गानस्वरालु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 4 ॥


भुवनेश्वरि संकल्पमे जनियिंचे मणिद्वीपमु ।

देवदेवुल निवासमु अदिये मनकु कैवल्यमु ॥


पद्मरागमुलु सुवर्णमणुलु

पदि आमडल पॊडवुन गलवु ।

मधुर मधुरमगु चंदनसुधलु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 5 ॥


अरुवदि नालुगु कलामतल्लुलु

वरालनॊसगे पदारु शक्तुलु ।

परिवारमुतो पंचब्रह्मलु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 6 ॥


अष्टसिद्धुलु नवनवनिधुलु

अष्टदिक्कुलु दिक्पालकुलु ।

सृष्टिकर्तलु सुरलोकालु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 7 ॥


कोटिसूर्युल प्रचंड कांतुलु

कोटिचंद्रुल चल्लनि वॆलुगुलु ।

कोटितारकल वॆलुगु जिलुगुलु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 8 ॥


भुवनेश्वरि संकल्पमे जनियिंचे मणिद्वीपमु ।

देवदेवुल निवासमु अदिये मनकु कैवल्यमु ॥


कंचु गोडल प्राकारालु

रागि गोडल चतुरस्रालु ।

एडामडल रत्नराशुलु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 9 ॥


पंचामृतमय सरोवरालु

पंचलोहमय प्राकारालु ।

प्रपंचमेले प्रजाधिपतुलु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 10 ॥


इंद्रनीलमणि आभरणालु

वज्रपुकोटलु वैढूर्यालु ।

पुष्यरागमणि प्राकारालु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 11 ॥


सप्तकोटिघन मंत्रविद्यलु

सर्वशुभप्रद इच्छाशक्तुलु ।

श्री गायत्री ज्ञानशक्तुलु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 12 ॥


भुवनेश्वरि संकल्पमे जनियिंचे मणिद्वीपमु ।

देवदेवुल निवासमु अदिये मनकु कैवल्यमु ॥


मिलमिललाडे मुत्यपु राशुलु

तलतललाडे चंद्रकांतमुलु ।

विद्युल्लतलु मरकतमणुलु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 13 ॥


कुबेर इंद्र वरुण देवुलु

शुभाल नॊसगे अग्निवायुवुलु ।

भूमि गणपति परिवारमुलु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 14 ॥


भक्ति ज्ञान वैराग्य सिद्धुलु

पंचभूतमुलु पंचशक्तुलु ।

सप्तृषुलु नवग्रहालु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 15 ॥


कस्तूरि मल्लिक कुंदवनालु

सूर्यकांति शिल महाग्रहालु ।

आरु ऋतुवुलु चतुर्वेदालु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 16 ॥


भुवनेश्वरि संकल्पमे जनियिंचे मणिद्वीपमु ।

देवदेवुल निवासमु अदिये मनकु कैवल्यमु ॥


मंत्रिणि दंडिनि शक्तिसेनलु

कालि कराली सेनापतुलु ।

मुप्पदिरॆंडु महाशक्तुलु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 17 ॥


सुवर्ण रजित सुंदरगिरुलु

अनंगदेवि परिचारिकलु ।

गोमेधिकमणि निर्मितगुहलु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 18 ॥


सप्तसमुद्रमुलनंत निधुलु

यक्ष किन्नॆर किंपुरुषादुलु ।

नानाजगमुलु नदीनदमुलु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 19 ॥


मानव माधव देवगणमुलु

कामधेनुवु कल्पतरुवुलु ।

सृष्टि स्थिति लय कारणमूर्तुलु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 20 ॥


भुवनेश्वरि संकल्पमे जनियिंचे मणिद्वीपमु ।

देवदेवुल निवासमु अदिये मनकु कैवल्यमु ॥


कोटि प्रकृतुल सौंदर्यालु

सकल वेदमुलु उपनिषत्तुलु ।

पदारुरेकुल पद्मशक्तुलु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 21 ॥


दिव्यफलमुलु दिव्यास्त्रमुलु

दिव्यपुरुषुलु धीरमातलु ।

दिव्यजगमुलु दिव्यशक्तुलु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 22 ॥


श्री विघ्नेश्वर कुमारस्वामुलु

ज्ञानमुक्ति एकांत भवनमुलु ।

मणिनिर्मितमगु मंडपालु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 23 ॥


पंचभूतमुलु याजमान्यालु

प्रवालसालं अनेक शक्तुलु ।

संतानवृक्ष समुदायालु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 24 ॥


भुवनेश्वरि संकल्पमे जनियिंचे मणिद्वीपमु ।

देवदेवुल निवासमु अदिये मनकु कैवल्यमु ॥


चिंतामणुलु नवरत्नालु

नूरामडल वज्रपुराशुलु ।

वसंतवनमुलु गरुडपच्चलु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 25 ॥


दुःखमु तॆलियनि देवीसेनलु

नटनाट्यालु संगीतालु ।

धनकनकालु पुरुषार्धालु

मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 26 ॥


पदुनालुगु लोकालन्निटि पैन

सर्वलोकमनु लोकमु कलदु ।

सर्वलोकमे ई मणिद्वीपमु

सर्वेश्वरिकदि शाश्वत स्थानम् ॥ 27 ॥


चिंतामणुल मंदिरमंदु

पंचब्रह्मल मंचमुपैन ।

महादेवुडु भुवनेश्वरितो

निवसिस्ताडु मणिद्वीपमुलो ॥ 28 ॥


भुवनेश्वरि संकल्पमे जनियिंचे मणिद्वीपमु ।

देवदेवुल निवासमु अदिये मनकु कैवल्यमु ॥


मणिगणखचित आभरणालु

चिंतामणि परमेश्वरिदाल्चि ।

सौंदर्यानिकि सौंदर्यमुगा

अगुपडुतुंदि मणिद्वीपमुलो ॥ 29 ॥


परदेवतनु नित्यमुकॊलचि

मनसर्पिंचि अर्चिंचिनचो ।

अपारधनमु संपदलिच्चि

मणिद्वीपेश्वरि दीविस्तुंदि ॥ 30 ॥


नूतन गृहमुलु कट्टिनवारु

मणिद्वीपवर्णन तॊम्मिदिसार्लु ।

चदिविन चालु अंता शुभमे

अष्टसंपदल तुलतूगेरु ॥ 31 ॥


शिवकवितेश्वरि श्रीचक्रेश्वरि

मणिद्वीप वर्णन चदिविन चोट ।

तिष्टवेसुकुनि कूर्चॊनुनंट

कोटिशुभालनु समकूर्चुटकै ॥ 32 ॥


भुवनेश्वरि संकल्पमे जनियिंचे मणिद्वीपमु ।

देवदेवुल निवासमु अदिये मनकु कैवल्यमु ॥



Krishna Murari Bhajan


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