नित्य प्रातः स्मरण श्लोक(Nitya Pratah Smaran Mantra in Sanskrit Me) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind


नित्य प्रातः स्मरण श्लोक(Nitya Pratah Smaran Mantra in Sanskrit Me) :- 


नित्य प्रातः स्मरण श्लोक(Pratah Smaran Mantra in Sanskrit Me) - Bhaktilok


नित्य प्रातः स्मरण श्लोक(Nitya Pratah Smaran Mantra in Sanskrit Me):- 


प्रात: कर-दर्शनम् (Patah Kar Darshanm Sanskrit Me):- 


कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती।

करमूले तू गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्॥


पृथ्वी क्षमा प्रार्थना(Prithvi Kshama Prarthana Sanskrit Me):-


समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मंडिते।

विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यं पाद स्पर्शं क्षमश्वमेव॥


त्रिदेवों के साथ नवग्रह स्मरण(Tridev Ke Sath Navgrah Smaran Sanskrit Me):- 


ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च।

गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतव: कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्॥



स्नान मन्त्र(Snan Mantra Sanskrit Me):-


गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।

नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥


सूर्यनमस्कार(Suryanamaskar Mantra Sanskrit Me):-


ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्युषश्च

आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने।

दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि शोक विनाशनम्

सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्॥


ॐ मित्राय नम:

ॐ रवये नम:

ॐ सूर्याय नम:

ॐ भानवे नम:

ॐ खगाय नम:

ॐ पूष्णे नम:

ॐ हिरण्यगर्भाय नम:

ॐ मरीचये नम:

ॐ आदित्याय नम:

ॐ सवित्रे नम:

ॐ अर्काय नम:

ॐ भास्कराय नम:

ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर।

दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥


संध्या दीप दर्शन(Sandhya Deep Darshan Mantra Sanskrit Me):- 


शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।

शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते॥

दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः।

दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते॥


गणपति स्तोत्र(Ganapati Strot Sanskrit Me):- 


गणपति: विघ्नराजो लम्बतुन्ड़ो गजानन:।

द्वै मातुरश्च हेरम्ब एकदंतो गणाधिप:॥

विनायक: चारूकर्ण: पशुपालो भवात्मज:।

द्वादश एतानि नामानि प्रात: उत्थाय य: पठेत्॥

विश्वम तस्य भवेद् वश्यम् न च विघ्नम् भवेत् क्वचित्।

विघ्नेश्वराय वरदाय शुभप्रियाय।

लम्बोदराय विकटाय गजाननाय॥

नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय।

गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजं।

प्रसन्नवदनं ध्यायेतसर्वविघ्नोपशान्तये॥


आदिशक्ति वंदना(Aadishakti Vandana Sanskrit Me):- 


सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥


शिव स्तुति(Shiv Stuti Sanskrit Me):- 


कर्पूर गौरम करुणावतारं,

संसार सारं भुजगेन्द्र हारं।

सदा वसंतं हृदयार विन्दे,

भवं भवानी सहितं नमामि॥


विष्णु स्तुति(Vishnu Stuti Sanskrit Me) :- 


शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥


श्री कृष्ण स्तुति(Shri Krishna Stuti):- 


कस्तुरी तिलकम ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभम।

नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले, वेणु करे कंकणम॥

सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम, कंठे च मुक्तावलि।

गोपस्त्री परिवेश्तिथो विजयते, गोपाल चूडामणी॥

मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्।

यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्॥



श्री राम वंदना(Shri Raam Vandana Snaskrit Me):- 


लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।

कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥


श्रीरामाष्टक(Shri Ramashtak Sanskrit Me):- 


हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा।

गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा॥

हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते।

बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्॥


एक श्लोकी रामायण(Ek Shloki Ramayan Sanskrit Me):- 


आदौ रामतपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम्।

वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीवसम्भाषणम्॥

बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरीदाहनम्।

पश्चाद्रावण कुम्भकर्णहननं एतद्घि श्री रामायणम्॥



सरस्वती वंदना(Saraswati Vandana Sanskrit Me):- 


या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वींणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपदमासना॥

या ब्रह्माच्युतशङ्करप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

सा माम पातु सरस्वती भगवती

निःशेषजाड्याऽपहा॥


हनुमान वंदना(Hanumaan Vandana Sanskrit Me):- 


अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्।

दनुजवनकृषानुम् ज्ञानिनांग्रगणयम्।

सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्।

रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगम जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणम् प्रपद्ये॥



स्वस्ति-वाचन(Svasti Vachan Sanskrit Me):- 



ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवाः

स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।

स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्ट्टनेमिः

स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु॥


शांति पाठ((Shanti Path Sanskrit Me):-


ऊँ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।

पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥

ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष (गुँ) शान्ति:,

पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।

वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,

सर्व (गुँ) शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥





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