बांस की बांसुरिया पे घणो इतरावे लिरिक्स (Baans Ki Basuriya Pe Ghano Itrave Lyrics in Hindi) - Nisha Dutt Sharma Krishna Bhajan - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

बांस की बांसुरिया पे घणो इतरावे लिरिक्स (Baans Ki Basuriya Pe Ghano Itrave Lyrics in Hindi) - 


बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे

कोई सोना की जो 

होती हीरा मोत्यां की जो होती

जाणे कांई करतो कांई करतो

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे.....||


जेल में जनम लेके घणो इतरावे

कोई महलां में जो 

होतो कोई अंगना में जो होतो

जाणे कांई करतो कांई करतो

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे.....||


देवकी रे जन्म लेके घणो इतरावे

कोई यशोदा के जो 

होतो मां यशोदा के जो होतो

जाणे कांई करतो कांई करतो

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे.....||


गाय को ग्वालो होके घणो इतरावे

कोई गुरूकुल में जो होतो 

कोई विद्यालय में जो होतो

जाणे कांई करतो कांई करतो

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे.....||


गुजरया की छोरियां पे घणो इतरावे

ब्राह्मण बनिया की जो होती 

सेठ ठाकुरां की जो होती

जाणे कांई करतो कांई करतो

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे.....||


सांवली सुरतिया पे घणो इतरावे

कोई गोरो सो जो होतो 

कोई सोणो सो जो होतो

जाणे कांई करतो कांई करतो

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे.....||


माखन और मिश्री पे घणो इतरावे

छप्पन भोग जो होतो काजू मेवा जो होतो

जाणे कांई करतो... कांई करतो

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे.....||



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