जल में कुम्भ कुम्भ में जल है बाहर भीतर पानी दोहे का अर्थ(Jal Me Kumbh Kumbh Me Jal Hai Bahar Bhitar Pani Dohe Ka Arth in Hindi)

Deepak Kumar Bind

 

जल में कुम्भ कुम्भ में जल है बाहर भीतर पानी दोहे का अर्थ(Jal Me Kumbh Kumbh Me Jal Hai Bahar Bhitar Pani Dohe Ka Arth in Hindi):-


जल में कुम्भ कुम्भ  में जल है बाहर भीतर पानी ।

फूटा कुम्भ जल जलहि समाना यह तथ कह्यौ गयानी ।

 

जल में कुम्भ कुम्भ में जल है बाहर भीतर पानी दोहे का अर्थ(Jal Me Kumbh Kumbh Me Jal Hai Bahar Bhitar Pani Dohe Ka Arth in Hindi)


जल में कुम्भ कुम्भ में जल है बाहर भीतर पानी दोहे का अर्थ(Jal Me Kumbh Kumbh Me Jal Hai Bahar Bhitar Pani Dohe Ka Arth in Hindi):-

जब पानी भरने जाएं तो घडा जल में रहता है और भरने पर जल घड़े के अन्दर आ जाता है इस तरह देखें तो – बाहर और भीतर पानी ही रहता है – पानी की ही सत्ता है। जब घडा फूट जाए तो उसका जल जल में ही मिल जाता है – अलगाव नहीं रहता – ज्ञानी जन इस तथ्य को कह गए हैं !  आत्मा-परमात्मा दो नहीं एक हैं – आत्मा परमात्मा में और परमात्मा आत्मा में विराजमान है। अंतत: परमात्मा की ही सत्ता है –  जब देह विलीन होती है – वह परमात्मा का ही अंश हो जाती है – उसी में समा जाती है। एकाकार हो जाती है।




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