अघमर्षणम् मन्त्र(Aghamrkhnam Mantra Sanskrit Me) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

अघमर्षणम् मन्त्र(Aghamrkhnam Mantra Sanskrit Me):- 



अघमर्षणम् मन्त्र(Aghamrkhnam Mantra Sanskrit Me) - Bhaktilok


अघमर्षणम् मन्त्र(Aghamrkhnam Mantra Sanskrit Me):- 


ॐ अघमर्पणसूक्तस्य माधुच्छन्दसोऽघमर्पण ऋपिरनुष्टुप्छन्दो भाववतो देवता अश्वमेधावभृते विनियोगः ।


दाहिने हाथ में जल लेकर नासिका के समीप करके नीचे लिखे मंत्र को तीन वार या एक बार बोलें और ध्यान करें कि यह जल श्वास के साथ नाक के बाएँ छिद्र से भीतर जाकर अन्तःकरण को शुद्ध कर पापपुरुष को दाहिने छिद्र से बाहर निकाल रहा है । पश्चात् उस जल को बिन देखे बायीं ओर फेंक दें । 


अघमर्षणम् मन्त्र(Aghamrkhnam Mantra Sanskrit Me):-


ऋतञ्च सत्यञ्चाभीद्धात्तपसोऽध्यजायत । 

ततो रात्र्यजायॐ त ततः समुद्रोऽर्णवः । 

समुद्रादर्णवादधि संवत्सरो अजायत । 

अहोरात्राणि विदधद्विश्वस्य मिषतो वशी । 

सूर्याचन्द्रमसो धाता यथा पूर्वमकल्पयत् । 

दिवञ्च पृथिवीञ्चान्तरिक्षमथो स्वः । 


अघमर्षणम् आचमनमः(Aghamrkhnam Aachanam)-


ॐ अन्तश्चरसीति तिरश्चीन ऋषिरनुष्टुपुछन्दः आपो देवता आपामुपस्पर्शने विनियोगः ।


मन्त्रः -


ॐ अन्तश्चरसि भूतेषु गुहायां विश्वतोमुखः ।

त्वं यज्ञस्त्वं वषटकार आपो ज्योती रसोऽमृतम् ।। 






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