दर्शन दो घनश्यामनाथ मोरीअखियां प्यासी रे लिरिक्स (Darshan Do Ghanshyam Mori ANkhiya Pyasi Re Lyrics ijn Hindi) - Narsi Bhagat Shyam Bhajan - Bhaktilok
दर्शन दो घनश्यामनाथ मोरीअखियां प्यासी रे लिरिक्स (Darshan Do Ghanshyam Mori ANkhiya Pyasi Re Lyrics ijn Hindi) -
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे |
मन मंदिर की जोत जगा दो घाट घाट वासी रे ||
मंदिर मंदिर मूरत तेरी फिर भी न दीखे सूरत तेरी |
युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे ||
द्वार दया का जब तू खोले पंचम सुर में गूंगा बोले |
अंधा देखे लंगड़ा चल कर पँहुचे काशी रे ||
पानी पी कर प्यास बुझाऊँ नैनन को कैसे समजाऊँ |
आँख मिचौली छोड़ो अब तो मन के वासी रे ||
निबर्ल के बल धन निधर्न के तुम रखवाले भक्त जनों के |
तेरे भजन में सब सुख़ पाऊं मिटे उदासी रे ||
नाम जपे पर तुझे ना जाने उनको भी तू अपना माने |
तेरी दया का अंत नहीं है हे दुःख नाशी रे ||
आज फैसला तेरे द्वार पर मेरी जीत है तेरी हार पर |
हर जीत है तेरी मैं तो चरण उपासी रे ||
द्वार खडा कब से मतवाला मांगे तुम से हार तुम्हारी |
नरसी की ये बिनती सुनलो भक्त विलासी रे ||
लाज ना लुट जाए प्रभु तेरी नाथ करो ना दया में देरी |
तिन लोक छोड़ कर आओ गंगा निवासी रे ||
If you liked this post please do not forget to leave a comment. Thanks