मंगल भवन अमंगल हारी रामायण चौपाई (Mangal Bhawan Amangal Haari Lyrics) -
मंगल भवन अमंगल हारी रामायण चौपाई (Mangal Bhawan Amangal Haari Lyrics) -
हो, मंगल भवन अमंगल हारी
द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी.
राम सिया राम सिया राम जय जय राम - २
हो, होइ है वही जो राम रचि राखा
को करे तरफ़ बढ़ाए साखा
राम सिया राम सिया राम जय जय राम - २
हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी
आपद काल परखिये चारीहो,
राम सिया राम सिया राम जय जय राम - २
हो, जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू
सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू
हो, जाकी रही भावना जैसी
रघु मूरति देखी तिन तैसी
हो, रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
हो, हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
कहहि सुनहि बहु
विधि सब संता
राम सिया राम सिया राम जय जय राम ---------जय सिया राम
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