भगवान श्री चित्रगुप्त जी की आरती (Bhagwan Shri Chitragupt Aarti Lyrics in Hindi) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind


भगवान श्री चित्रगुप्त जी की आरती (Bhagwan Shri Chitragupt Aarti Lyrics in Hindi) 

भगवान श्री चित्रगुप्त जी की आरती (Bhagwan Shri Chitragupt Aarti Lyrics in Hindi) 


ॐ जय चित्रगुप्त हरे

स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।

भक्तजनों के इच्छित

फलको पूर्ण करे॥

विघ्न विनाशक मंगलकर्ता

सन्तनसुखदायी ।

भक्तों के प्रतिपालक

त्रिभुवनयश छायी ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


रूप चतुर्भुज श्यामल मूरत

पीताम्बरराजै ।

मातु इरावती दक्षिणा

वामअंग साजै ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


कष्ट निवारक दुष्ट संहारक

प्रभुअंतर्यामी ।

सृष्टि सम्हारन जन दु:ख हारन

प्रकटभये स्वामी ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


कलम दवात शंख पत्रिका

करमें अति सोहै ।

वैजयन्ती वनमाला

त्रिभुवनमन मोहै ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


विश्व न्याय का कार्य सम्भाला

ब्रम्हाहर्षाये ।

कोटि कोटि देवता तुम्हारे

चरणनमें धाये ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


नृप सुदास अरू भीष्म पितामह

यादतुम्हें कीन्हा ।

वेग विलम्ब न कीन्हौं

इच्छितफल दीन्हा ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


दारा सुत भगिनी

सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।

जाऊँ कहाँ शरण में किसकी

तुमतज मैं भर्ता ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


बन्धु पिता तुम स्वामी

शरणगहूँ किसकी ।

तुम बिन और न दूजा

आसकरूँ जिसकी ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


जो जन चित्रगुप्त जी की आरती

प्रेम सहित गावैं ।

चौरासी से निश्चित छूटैं

इच्छित फल पावैं ॥

॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥


न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी

पापपुण्य लिखते ।

'नानक' शरण तिहारे

आसन दूजी करते ॥


ॐ जय चित्रगुप्त हरे

स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।

भक्तजनों के इच्छित

फलको पूर्ण करे 



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