ॐ जय जगदीश हरे स्वामी ! जय जगदीश हरे
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
स्वामी ! जय जगदीश हरे
भक्त दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
जो ध्यावे फल पावे
दुःख विनसे मन का
स्वामी दुःख विनसे मन का
सुख सम्पत्ति घर आवे
कष्ट मिटे तन का
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
मात-पिता तुम मेरे
शरण गहूँ मैं किसकी
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी
तुम प्रभु बिन और न दूजा
आस करूँ मैं जिसकी
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
तुम पूरण परमात्मा
तुम अन्तर्यामी
स्वामी तुम अन्तर्यामी
पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
तुम करुणा के सागर
तुम पालन-कर्ता
स्वामी तुम पालन-कर्ता
मैं मूरख खल कामी
मैं सेवक तुम स्वामी
कृपा करो भर्ता
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
तुम हो एक अगोचर
सबके प्राणपति
स्वामी सबके प्राणपति
किस विधि मिलूँ दयालु गोसाईं
तुमको मैं कुमति
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
दीनबन्धु दुखहर्ता
तुम ठाकुर मेरे
स्वामी तुम रक्षक मेरे
अपने हाथ उठाओ
अपनी शरण लगाओ
द्वार पड़ा मैं तेरे
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
विषय-विकार मिटाओ
पाप हरो देवा
स्वमी कष्ट हरो देवा
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ
श्रद्धा-प्रेम बढ़ाओ
सन्तन की सेवा
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
तन मन धन सब है तेरा
स्वामी सब कुछ है तेरा
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
श्री जगदीशजी की आरती
जो कोई नर गावे
स्वामी जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी
सुख संपत्ति पावे
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी ! जय जगदीश हरे
भक्त दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
स्वामी ! जय जगदीश हरे
भक्त दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
जो ध्यावे फल पावे
दुःख विनसे मन का
स्वामी दुःख विनसे मन का
सुख सम्पत्ति घर आवे
कष्ट मिटे तन का
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
मात-पिता तुम मेरे
शरण गहूँ मैं किसकी
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी
तुम प्रभु बिन और न दूजा
आस करूँ मैं जिसकी
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
तुम पूरण परमात्मा
तुम अन्तर्यामी
स्वामी तुम अन्तर्यामी
पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
तुम करुणा के सागर
तुम पालन-कर्ता
स्वामी तुम पालन-कर्ता
मैं मूरख खल कामी
मैं सेवक तुम स्वामी
कृपा करो भर्ता
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
तुम हो एक अगोचर
सबके प्राणपति
स्वामी सबके प्राणपति
किस विधि मिलूँ दयालु गोसाईं
तुमको मैं कुमति
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
दीनबन्धु दुखहर्ता
तुम ठाकुर मेरे
स्वामी तुम रक्षक मेरे
अपने हाथ उठाओ
अपनी शरण लगाओ
द्वार पड़ा मैं तेरे
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
विषय-विकार मिटाओ
पाप हरो देवा
स्वमी कष्ट हरो देवा
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ
श्रद्धा-प्रेम बढ़ाओ
सन्तन की सेवा
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
तन मन धन सब है तेरा
स्वामी सब कुछ है तेरा
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
श्री जगदीशजी की आरती
जो कोई नर गावे
स्वामी जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी
सुख संपत्ति पावे
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी ! जय जगदीश हरे
भक्त दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे
|| ॐ जय जगदीश हरे....||
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