भगवान बुद्ध वंदना (Bhagwan Buddha Vandana Lyrics in Hindi) -
बुद्ध वन्दना
नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स ।
नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स ।
नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स ।
त्रिशरण
बुद्धं सरणं गच्छामि ।
धम्म सरणं गच्छामि ।
संघ सरणं गच्छामि ।
दुतियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि ।
दुतियम्पि धम्म सरणं गच्छामि ।
दुतियम्पि संघ सरणं गच्छामि ।
ततियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि ।
ततियम्पि धम्म सरणं गच्छामि ।
ततियम्पि संघ सरणं गच्छामि ।
पंचशील
1. पाणतिपाता वेरमणी सिक्खापदं समादियामि ।
2. अदिन्नादाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामि ।
3. कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि ।
4. मुसावादा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि ।
5. सुरा-मेरय-मज्ज-पमादट्ठानावेरमणी सिक्खापदं समादियामि ।
॥ भवतु सर्व मंगलं ॥
बुद्ध वन्दना अर्थ:
उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार।
उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार।
उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार।
त्रिशरण अर्थ:
मैं बुद्ध की शरण में जाता हूं।
मैं धम्म की शरण में जाता हूँ।
मैं संघ की शरण में जाता हूँ।
मैं दूसरी बार भी बुद्ध की शरण में जाता हूँ।
मैं दूसरी बार भी धम्म की शरण में जाता हूँ।
मैं दूसरी बार भी संघ की शरण में जाता हूँ।
मैं तीसरी बार भी बुद्ध की शरण में जाता हूँ।
मैं तीसरी बार भी धम्म की शरण में जाता हूँ।
मैं तीसरी बार भी संघ की शरण में जाता हूँ।
पंचशील अर्थ:
1. अर्थ मैं अकारण प्राणी हिंसा से दूर रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ।
2. मैं बिना दी गयी वस्तु को न लेने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ।
3. मैं कामभावना से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ।
4. मैं झूठ बोलने और चुगली करने से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ।
5. मैं कच्ची-पक्की शराबनशीली वस्तुओं के प्रयोग से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ।
॥ सबका मंगल हो ॥
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