विन्ध्येश्वरी आरती: सुन मेरी देवी पर्वतवासनी (Sun Meri Devi Parvat Vasani Lyrics in Hindi) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

विन्ध्येश्वरी आरती: सुन मेरी देवी पर्वतवासनी (Sun Meri Devi Parvat Vasani Lyrics in Hindi) - Bhaktilok

विन्ध्येश्वरी आरती: सुन मेरी देवी पर्वतवासनी (Sun Meri Devi Parvat Vasani Lyrics in Hindi) - Bhaktilok

विन्ध्येश्वरी आरती: सुन मेरी देवी पर्वतवासनी (Sun Meri Devi Parvat Vasani Lyrics in Hindi) - 


सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।

कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥


पान सुपारी ध्वजा नारियल ।

ले तेरी भेंट चढ़ायो माँ ॥


सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।

कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥


सुवा चोली तेरी अंग विराजे ।

केसर तिलक लगाया ॥


सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।

कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥


नंगे पग मां अकबर आया ।

सोने का छत्र चडाया ॥


सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।

कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥


ऊंचे पर्वत बनयो देवालाया ।

निचे शहर बसाया ॥


सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।

कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥


सत्युग, द्वापर, त्रेता मध्ये ।

कालियुग राज सवाया ॥


सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।

कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥


धूप दीप नैवैध्य आर्ती ।

मोहन भोग लगाया ॥


सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।

कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥


ध्यानू भगत मैया तेरे गुन गाया ।

मनवंचित फल पाया ॥


सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।

कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥




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