जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी लिरिक्स श्री महालक्ष्मी आरती (Jay Devi Jay Devi Jay Mahalakshmi Lyrics in Hindi)

Deepak Kumar Bind

 

जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी लिरिक्स श्री महालक्ष्मी आरती (Jay Devi Jay Devi Jay Mahalakshmi Lyrics in Hindi)


श्री महालक्ष्मीची आरती

जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी।

वससी व्यापकरुपे तू स्थूलसूक्ष्मी॥

जय देवी जय देवी.......॥


जय देवी जय देवी जय महालक्ष

वससी व्यापकरुपे तू स्थूलसूक्ष्मी॥

जय देवी जय देवी.......॥


करवीरपुरवासिनी सुरवरमुनिमाता।

पुरहरवरदायिनी मुरहरप्रियकान्ता।

कमलाकारें जठरी जन्मविला धाता।

सहस्त्रवदनी भूधर न पुरे गुण गातां॥


जय देवी जय देवी.......॥

जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी।

वससी व्यापकरुपे तू स्थूलसूक्ष्मी॥

जय देवी जय देवी.......॥


जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी।

वससी व्यापकरुपे तू स्थूलसूक्ष्मी॥

जय देवी जय देवी.......॥


मातुलिंग गदा खेटक रविकिरणीं।

झळके हाटकवाटी पीयुषरसपाणी।

माणिकरसना सुरंगवसना मृगनयनी।

शशिकरवदना राजस मदनाची जननी॥


जय देवी जय देवी.......॥

जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी।

वससी व्यापकरुपे तू स्थूलसूक्ष्मी॥

जय देवी जय देवी.......॥


जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी।

वससी व्यापकरुपे तू स्थूलसूक्ष्मी॥

जय देवी जय देवी.......॥


तारा शक्ति अगम्या शिवभजकां गौरी।

सांख्य म्हणती प्रकृती निर्गुण निर्धारी।

गायत्री निजबीजा निगमागम सारी।

प्रगटे पद्मावती निजधर्माचारी॥


जय देवी जय देवी.......॥

जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी।

वससी व्यापकरुपे तू स्थूलसूक्ष्मी॥

जय देवी जय देवी.......॥

जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी।

वससी व्यापकरुपे तू स्थूलसूक्ष्मी॥

जय देवी जय देवी.......॥


अमृतभरिते सरिते अघदुरितें वारीं।

मारी दुर्घट असुरां भवदुस्तर तारीं।

वारी मायापटल प्रणमत परिवारी।

हें रुप चिद्रूप दावी निर्धारी॥


जय देवी जय देवी.......॥

जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी।

वससी व्यापकरुपे तू स्थूलसूक्ष्मी॥

जय देवी जय देवी.......॥

जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी।

वससी व्यापकरुपे तू स्थूलसूक्ष्मी॥

जय देवी जय देवी.......॥


चतुराननें कुश्चित कर्मांच्या ओळी।

लिहिल्या असतिल माते माझे निजभाळी।

पुसोनि चरणातळी पदसुमने क्षाळी।

मुक्तेश्वर नागर क्षीरसागरबाळी॥


जय देवी जय देवी.......॥

जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी।

वससी व्यापकरुपे तू स्थूलसूक्ष्मी॥

जय देवी जय देवी.......॥

जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी।

वससी व्यापकरुपे तू स्थूलसूक्ष्मी॥

जय देवी जय देवी.......॥ 

जयदेवी जयदेवी श्रीलक्ष्मीमाते । प्रसन्न होऊनि आतां वर दे आम्हांते।। धृ. ।।

श्रीविष्णुकांते तव विश्वावरि सत्ता । स्थिरचर दौलत देसी लक्ष्मीव्रत करितां ।। १ ।।

जननी तुजऐसी या नाही त्रिभुवनीं । सुरवर वंदिती मस्तक ठेवुनि तव चरणी ।। २ ।।

कृपाप्रसादें तुझिया लाभे सुखशांति । चिंताक्लेशहि जाती नुरते आपत्ती ।। ३ ।।

वैभव ऐश्वर्याचें आणि अपार द्रव्याचें । देसी दान दयाळे सदैव सौख्याचे ।। ४ ।।

यास्तव मिलिंदमाधव आरती ओवाळी । प्रेमें भक्तिभावें लोटांगण घाली ।। ५ ।।



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