ये प्रयागराज है जहाँ सूरज का रंग सोना (Ye Prayagraj Hai Janha Suraj Ka Rang Sona Lyrics In Hindi) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 ये प्रयागराज है जहाँ सूरज का रंग सोना (Ye Prayagraj Hai Janha Suraj Ka Rang Sona Lyrics In Hindi)


प्रकृति और सौंदर्य का वर्णन


ये प्रयागराज है, जहाँ सूरज का रंग सोना,

जहाँ गंगा के तट पर झूमता है हर कोना।

हरी-भरी वादियों में बहती शीतल हवा,

प्रकृति का यह उपहार है, हर दिल का दवा।


यहाँ के घाटों पर गूंजते भजन की धुन,

हर सुबह लाती है नई उमंग, नई जुनून।

संगम की पावन भूमि, जहाँ मिलती हैं धाराएं,

मन को शांति देती हैं यहाँ की फिजाएं।


नीला आसमान, बादलों का खेल,

पक्षियों का मधुर संगीत, जैसे सजीव मेल।

हरी घास पर बिछा है ओस का गहना,

हरियाली का आँचल, मन को देता है ठहना।


पेड़ों की छांव, फूलों की महक,

नदी की लहरें, जैसे कोई मधुर राग कहक।

चमकती धूप में सुनहरी होती हैं धारे,

यहाँ की सुंदरता, दिलों को करती है प्यारे।


प्रयागराज की धरती, जहाँ प्रकृति मुस्काती,

हर कोना, हर मोड़, सुंदरता की गाथा सुनाती।

यहाँ के नजारे, जैसे स्वर्ग का द्वार,

प्रकृति का यह अद्भुत और अनुपम उपहार।


सूरज की पहली किरण, जब धरती को छूती,

प्रकृति के रंगों से पूरी दुनिया को रंगती।

यहाँ की मिट्टी, यहाँ की खुशबू,

प्रकृति का यह उपहार, जीवन का जादू।


यह प्रयागराज है, जहाँ सौंदर्य बसता,

हर दिल में, हर सांस में, प्रकृति का प्रेम बसा।

हरी-भरी वादियों में बहती शीतल हवा,

प्रकृति का यह उपहार है, हर दिल का दवा।

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