ये प्रयागराज है जहाँ संघर्षों ने राह बनाई, (Ye Prayagraj Hai Janha Sangharsho Ne Rah Banayi Lyrics In Hindi) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 ये प्रयागराज है जहाँ संघर्षों ने राह बनाई, (Ye Prayagraj Hai Janha Sangharsho Ne Rah Banayi Lyrics In Hindi) - Bhaktilok


संघर्ष और आत्मनिर्भरता की गाथा

(प्रयागराज की भूमि का गुणगान)

ये प्रयागराज है, जहाँ संघर्षों ने राह बनाई,

जहाँ हर दिल ने मेहनत से नई दुनिया सजाई।

खेतों में पसीना, और शहर में तरक्की,

युवाओं का सपना, यहाँ हर दिल में सच्ची।


(संघर्ष की कहानी)

गंगा-यमुना का संगम, यहाँ दिलों का संगम,

हर क़दम पे मेहनत, हर दिल में उमंग।

मिट्टी की महक में, बसी है एक कहानी,

संघर्ष की ये गाथा, है सबकी जुबानी।


(किसान और मजदूर का जिक्र)

खेतों में किसान, दिन-रात जोते हल,

आसमान से सूरज, और धरती से जल।

मजदूर के हाथों में, मेहनत की लकीरें,

उनके पसीने से ही, खिलती हैं तक़दीरें।


(युवाओं के सपने)

शहर की गलियों में, युवा बढ़ते कदम,

आँखों में हैं सपने, दिलों में है दम।

शिक्षा की मशाल से, उजाले की ओर,

हर बाधा को पार, चले आगे हर मोड़।


(आत्मनिर्भरता का संदेश)

अपने दम पर चलना, यही है पहचान,

संघर्षों से बनता है, आत्मनिर्भर इंसान।

हर चुनौती को हराना, है अपना इरादा,

सपनों को सच करना, यही हमारा वादा।


(अंतिम आह्वान)

आओ मिलकर गाएँ, प्रयागराज की गाथा,

संघर्ष और मेहनत से, लिखें नई परिभाषा।

हर दिल में हो जज्बा, हर हाथ में हो शक्ति,

आत्मनिर्भर बनकर, करें हर मुश्किल को भक्ति।


(ये गीत प्रयागराज की संघर्षशील और आत्मनिर्भरता की भावना को समर्पित है।)

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