दुःख में सब सिमरन करे लिरिक्स भजन इन हिंदी लिरिक्स
दुःख में सब सिमरन करे लिरिक्स (Dukh Me Jo Simran Kare Lyrics in Hindi) - Kabir Ke Dohe Kabir Bhajan Kabir Amritwani -
दोहा
दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय।जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥
दुःख में सब सिमरन करे लिरिक्स (Dukh Me Jo Simran Kare Lyrics in Hindi) -
गुरु गोबिंद दोह खड़ेकाके लगो पाएबलिहारी गुरु अपने गोबिंद दियो बतायाऐसे वाणी बोलिएमन का आपा खोयेऔरन को शीतल करेअपुन शीतल होयेबढ़ा हुआ तो क्या हुआजैसे पेड़ खजूरपंथी को छाया नहींफल लगे अति दूर ।निंदक नियरे राखिएऑंगन कुटी छवायबिन पानी साबुन बिनानिर्मल करे सुभाय।दुःख में सुमिरन सब करेसुख में करै न कोय।जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥माटी कहै कुम्हार सोक्या तू रौंदे मोहिएक दिन ऐसा होयगामै रौंदूँगी तोहिमेरा मुझमें कुछ नहीं जो कुछ है सो तोर ।तेरा तुझकौं सौंपताक्या लागै है मोर ॥1॥काल करे सो आज करआज करे सो अब ।पल में परलय होएगी बहुरि करेगा कब ॥जाति न पूछो साधु कीपूछ लीजिये ज्ञान।मोल करो तरवार कापड़ा रहन दो म्यान ॥नहाये धोये क्या हुआजो मन मैल न जाए ।मीन सदा जल में रहेधोये बास न जाए ।पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआपंडित भया न कोय ।ढाई आखर प्रेम कापढ़े सो पंडित होय ।।साँई इतना दीजिएजामे कुटुम समाय।मैं भी भूखा ना रहूँसाधु न भूखा जाय।।माखी गुड में गडी रहेपंख रहे लिपटाए ।हाथ मेल और सर धुनेंलालच बुरी बलाय ।
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