शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा (Shukravar Santoshi Mata Vrat Katha in Hindi) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा (Shukravar Santoshi Mata Vrat Katha) - 

[प्रारंभ]

एक बार की बात है, एक समय की बात है, एक गाँव में एक साधु रहते थे। संतोषी माता के भक्त वे थे, जिन्हें भगवान का दीवाना मानते थे॥

[प्रारंभिक कथा]

उनका नाम था गंगाधर, प्रेमी प्रेमिका के नाते थे। वे थे कृष्णा के परम भक्त, भगवान से हमेशा रात दिन जुड़े थे॥

एक बार गर्मी के दिन गंगाधर, वन में भव्य वाटिका में आये। भगवान को अर्पित करने के लिए, उन्होंने एक चौपाल बनाये॥

जब सभी भक्त आए गंगाधर के पास, तो एक ने कहा गंगाधर से, "अब हमारे संतोषी माता के व्रत का आया है वक्त, क्या आप हमें कहानी सुना सकते हैं?"।

[मुख्य कथा]

गंगाधर ने उन्हें हाँ कह दिया, और बताने लगे वे कथा विस्तार। यह कथा बतलाती है माता संतोषी की कथा, जो हैं भक्तों की सारी आसार।।

यह थी "शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा" की लिरिक्स हिंदी में। यह कथा व्रत के महत्व को दर्शाती है और भक्तों को आध्यात्मिक संबल प्रदान करती है।

जरूर, ये रही "शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा" के कुछ मुख्य अनुभाग:-

  1. प्रारंभिक समय:
    यह कथा शुरू होती है एक समय में, जब संतोषी माता के पूजक एक गाँव में रहते थे।

  2. भक्त की प्रार्थना:
    एक दिन, एक भक्त ने संतोषी माता से उनकी समस्या का समाधान मांगा।

  3. देवी की आज्ञा:
    संतोषी माता ने उनकी प्रार्थना सुनी और उन्हें एक व्रत का आदेश दिया।

  4. व्रत का महत्व:
    कथा में व्रत के महत्व को बताया जाता है और उसके लाभों का वर्णन किया जाता है।

  5. पूजन और प्रसाद:
    भक्त ने संतोषी माता की पूजा की और प्रसाद को ग्रहण किया।

  6. समस्या का समाधान:
    भक्त के व्रत और पूजन के बाद, उसकी समस्या का समाधान हो गया।

  7. संतोषी माता की कृपा:
    संतोषी माता ने उसकी प्रार्थना सुनी और उसे आनंद और समृद्धि प्रदान की।

ये हैं कुछ मुख्य अंश, जो इस कथा को संपूर्ण बनाते हैं।

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