ऐसा कहते हैं सब लोगों की जादू भरी पग रज है तुम्हारी (Aisa Kahte Hai Sab Log Ki Jadu Bhari Pag Raj Hai Tumhari Lyrics in Hindi) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

ऐसा कहते हैं सब लोगों की जादू भरी पग रज है तुम्हारी (Aisa Kahte Hai Sab Log Ki Jadu Bhari Pag Raj Hai Tumhari Lyrics in Hindi) - 


आज्ञा पाये निषाद ने केवट लियो बुलाये

पर केवट ने राम को दी यह मांग सुनाए


पहले चरण पखारूंगा उनके रज को झारूँगा

पान करूंगा चरणामृत नाव पे तब बैठारुंगा


ऐसा कहते हैं सब लोग

के जादू भरी पदरज है तुम्हारी

इस पद रज का स्पर्श हुआ तो

मोन शिला बानी सुन्दर नारी

मेरे पास है बस एक नईया

मेरे पास है बस एक नईया

सारे कुटुम्ब की पालना हारी

नाओ बानी अगर नार तो

आएगा मुझ निर्धन पे संकट भारी

एक नारी का कथिन है पालन

कैसे पालूंगा दो दो नारी


केवट ने कहा रघुराई से उतराई ना लूंगा हे भगवन लिरिक्स (kevat ne kaha raghuraee se utaraee na loonga he bhagavaan Lyrics in Hindi)

जिस अंधे ने प्रभु को देखा नहीं (Jis Andhe Ne Prabhu Ko Dekha Nahi Lyrics in Hindi) 


केवट प्रभु के पाओ पखारन हेतु

कठौती में जल भर लाया

पाओ पखार पिया चरणामृत

फिर प्रभु को नौका में बिठाया

गंगा पार पहुंच कर जब

गंगा पार पहुंच कर जब

जब उतराई देने का अवसर आया

देने लगी वैदेही अंगुठी

तो ना मैं सर केवट ने हिलाया

देने लगी वैदेही अंगुठी

तो ना मैं सर केवट ने हिलाया


सुनो मेरी विनती राम सरकार

राम सरकार सिया सरकार

नाई धोभी धीमर केवट और लोहार सुनार

एकदुजे से लेना मजुरी इनका एक व्यापार

मैं नदिया का केवट तुम भव सागर तारनहार

राम प्रभु मेरी मजदूरी तुम पर रही उधार


आउं मैं जब घाट तुम्हारे 

आउं मैं जब घाट तुम्हारे 

कर दीजो बेड़ा मेरा पार

सुनो मेरी विनती राम सरकार

राम सरकार सिया सरकार


केवट ने जो मांगी उतराई

मन ही मन प्रण किया रघुराई

उतराई अवष्य चुकानी है

ये रामायण श्री राम की

अमर कहानी है

ये रामायण श्री राम की

अमर कहानी है


केवट को वचन देकर

मुस्कराते हुए विदा लेकर

सिया सहित वन मार्ग पर

चल दिये युगल किशोर

भूली असंग निषाद भी

बंधानीर की ओर


सांझ सिय सहित रघुनन्दन

गंगा जी का करके वंदन

भारद्वाज के आश्रम आये

मुनि को विनय प्रणाम जानाये

ऋषि ने प्रभु को हृदय लगाया

अकथनीय परमानंद पया

कुशल पुच्छ आसन बैठे

पद पूजक मुनि भये सुखारे


कंदमूल फल पारस कर

अति प्रसन्न ऋषि राज

ज्ञान ध्यान तप जोग जप

सफल भये सब आज

कर मुनि से सत्संग प्रभु

किआ ताह रन प्रवास

चंद्रा अवस्था में हुआ

आध्यात्मिक आभास


हो … प्रात नहाये पुनये त्रिवेणी

सरिता त्रय बुध मंगल देनि

हो ..राम प्रयाग महात्न

बखाना तीर्थेश्वर यह सरस सुहाना

हो …नाम प्रयाग यज्ञ हुए अगणित

कण कण मंत्रो से अनुगुंजित

हो तीर्थेश्वर की महिमा गाकर

आश्रम मे पुनि आये रघुवर


शुभाशीष मुनिराज से मांग रहे जगदीश

पुछ रहे वनवास को जाए कहा मुनीश

मुनि बोले तुम मुझे जगत

बसा तुम विद्यामान सर्वत्र सदा

तुमका क्या रहा सूझनी है


ये रामायण श्री राम की अमर कहानी है

ये रामायण सिया राम की अमर कहानी है ||


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