मेरे मालिक की दुकान में सब लोगों का खाता भजन ( Mere Malik Ke Darbar Mein Lyrics in Hindi ) -
मेरे मालिक के दरबार में
सब लोगो का खाता
जितना जिसके भाग्य में होता
वो उतना ही पाता
मेरे मालिक के दरबार में....
क्या साधू क्या संत गृहस्थी
क्या राजा क्या रानी
प्रभु की पुस्तक में लिखी है
सब की कर्म कहानी
वही सभी के जमा खरच का
सही हिसाब लगाता
मेरे मालिक के दरबार में ...
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बड़े कड़े कानून प्रभु के
बड़ी कड़ी मर्यादा
किसी को कौड़ी कम नही देता
किसी को दमड़ी ज्यादा
इसलिए तो दुनिया में ये
जगत सेठ कहलाता
मेरे मालिक के दरबार में ...
करते हैं फ़ैसला सभी का
प्रभु आसन पर डट के
इनका फैसला कभी ना बदले
लाख कोई सर पटके
समझदार तो चुप रहता हैं
मूरख़ शोर मचाता
मेरे मालिक के दरबार में....
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