ओ मूर्ख प्राणी भजन इन हिंदी लिरिक्स

Deepak Kumar Bind

ओ मूर्ख प्राणी भजन इन हिंदी लिरिक्स


है अब भी वक़्त संभल जा तू  छोड़ के नादानी ,

मूरख प्राणी ओ मूरख प्राणी ,

है अब भी वक़्त संभल जा.....


मांगने जाता है तू भिक्षा जिस ईश्वर के द्वारे पर ,

उस ईश्वर की खंडित मूर्ती रख देता चौराहे पर ,

कैसा दोगलापन है ये तेरा है कैसी ये गुमानी ,

मूरख प्राणी ओ मूरख प्राणी

है अब भी वक़्त संभल जा.....


जिव्हा भी कहने से है डारती ऐसे ऐसी तू काम करे ,

ज़्यादा पाने की चाहत में तू करता खुद की हानि ,

मूरख प्राणी ओ मूरख प्राणी

है अब भी वक़्त संभल जा.....


सच्चे मन से तूने कभी भी किया नहीं ईश्वर का ध्यान ,

अपने पतन का कारण तू खुद औरों को देता इलज़ाम ,

अपने कर्मो पर शर्मा तुझे क्या आती ना गिलानी ,

मूरख प्राणी ओ मूरख प्राणी ,

है अब भी वक़्त संभल जा.... 


Post a Comment

0Comments

If you liked this post please do not forget to leave a comment. Thanks

Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !