ओ मूर्ख प्राणी भजन इन हिंदी लिरिक्स
है अब भी वक़्त संभल जा तू छोड़ के नादानी ,
मूरख प्राणी ओ मूरख प्राणी ,
है अब भी वक़्त संभल जा.....
मांगने जाता है तू भिक्षा जिस ईश्वर के द्वारे पर ,
उस ईश्वर की खंडित मूर्ती रख देता चौराहे पर ,
कैसा दोगलापन है ये तेरा है कैसी ये गुमानी ,
मूरख प्राणी ओ मूरख प्राणी
है अब भी वक़्त संभल जा.....
जिव्हा भी कहने से है डारती ऐसे ऐसी तू काम करे ,
ज़्यादा पाने की चाहत में तू करता खुद की हानि ,
मूरख प्राणी ओ मूरख प्राणी
है अब भी वक़्त संभल जा.....
सच्चे मन से तूने कभी भी किया नहीं ईश्वर का ध्यान ,
अपने पतन का कारण तू खुद औरों को देता इलज़ाम ,
अपने कर्मो पर शर्मा तुझे क्या आती ना गिलानी ,
मूरख प्राणी ओ मूरख प्राणी ,
है अब भी वक़्त संभल जा....
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