रूठी रूठी हो क्यों हमसे मेरी जान राधा
|| रूठी रूठी हो क्यों हमसे मेरी जान राधा ||
तेरे प्यार के बिना है तेरा श्याम आधा
करता करता है तू मुरली से प्यार ज्यादा,
|| रूठी रूठी हो क्यों हमसे मेरी जान राधा ||
क्यों मुरली के उपर अपना पल पल हाथ फिरावे,
मुझे छोड़ कर क्यों मुरली को होठो से चिप कावे
तोड़ी तोड़ी है कन्हिया तूने मर्यादा,
|| रूठे इस लिए तेरी जान राधा ||
गलत सोच के कारन राधा भज गई तू बंधन में,
मुरली तो मेरे हाथ में सोहे तू है मेरे मन में,
एसी बातो से न होता कभी कोई फयदा,
|| तेरे प्यार के बिना है तेरा श्याम आधा ||
सतम सुर में जब तेरी मुरली मीठी मीठी बोले,
मद होशी सी छाने लगती दिल खाते हिचकोले,
होती होती है वेचैनी मुझे बड़ी ज्यदा,
|| रूठे इस लिए तेरी जान राधा ||
हरे बांस की मुरली राधा क्या कर लेगी तेरी,
कहे अनाडी बिना बात के साथ न छोड़ो मेरा,
जीने मरने का किया है मैंने तुझे वाधा,
|| तेरे प्यार के बिना है तेरा श्याम आधा |
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