ये प्रयागराज है जहाँ सवेरा खास है - प्रयागराज की महिमा (पूरी कविता) -(ye prayagraj hai, jahaan savera khaas hai lyrics in hindi)
ये प्रयागराज है, जहाँ सवेरा खास है,
धूप में भी गंगा की लहरों का एहसास है।
धर्म, कर्म, और प्रेम का जहाँ वास है,
हर कदम पर इतिहास का आकाश है।
जहाँ संगम की मिट्टी में सजी कहानियाँ,
तीर्थराज की गूँजती पुरानी निशानियाँ।
जहाँ ऋषियों ने तप किया, दिया ज्ञान का प्रकाश,
हर दिशा में बसा हुआ है संस्कृति का इतिहास।
त्रिवेणी के संगम पर जहाँ मन पवित्र हो,
हर लहर के संग चलता जीवन का चित्र हो।
जहाँ श्रद्धा और भक्ति की होती बयार है,
हर आस्था में बसता यहाँ का संसार है।
सरस्वती की छुपी धाराओं का अद्भुत खेल,
गंगा-यमुना के संग बहता अमृत का मेल।
जहाँ कुंभ में उमड़ता है जन-जन का सैलाब,
सदियों से बना हुआ ये धरती का गुलाब।
यहाँ के घाटों पर बसी हैं अनगिनत यादें,
मंदिरों की घंटियों में झलकती हैं फरियादें।
जहाँ शब्द भी मौन हो जाएँ इस अद्भुत दृश्य से,
हर जीव झुक जाए यहाँ के दिव्य हर्ष से।
ये प्रयागराज है, जहाँ दिलों का मेल है,
हर आस्था के संग चलता धर्म का खेल है।
जहाँ हर राह में छुपा है जीवन का सार,
यहाँ की महिमा का नहीं कोई पारावार।
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