मोरा कौन हरे दुःख पीरा बिना रघुवीरा लिरिक्स (Mora Kaun Hare Dukh Peera Bina Raghuveera Lyrics in Hindi) - Holi Geet

Deepak Kumar Bind

 

मोरा कौन हरे दुःख पीरा बिना रघुवीरा लिरिक्स (Mora Kaun Hare Dukh Peera Bina Raghuveera Lyrics in Hindi) - 


मोरा कौन हरे दुःख पीरा

बिना रघुवीरा


लगे अषाढ़ उमड़ घन गरजे

सावन गरुण गंभीरा


अरे सावन गरुण गंभीरा

अरे हाँ सावन गरुण गंभीरा


उड़े गुलाल लाल भये बादर

सावन गरुण गंभीरा


अरे सावन गरुण गंभीरा

अरे हाँ सावन गरुण गंभीरा


भादवं बिजुरी तड़ा – तड़ तडके -4

वै तो भरी आये चहुँ दिशि नीरा

बिना रघुवीरा


मोरा कौन हरे दुःख पीरा

बिना रघुवीरा


लगे कुआर उमड़ भये बरखा

कार्तिक निर्मल नीरा


अगहन ओस सतावन लागे

मोरा थर – थर काँपे शरीरा

बिना रघुवीरा


मोरा कौन हरे दुःख पीरा

बिना रघुवीरा


अरे पूस मास जड़ा जोर होत है

माघे मकर महीना


फागुन फगुआ चैत संग खेलें

वै तो केहि पर फेंके अबीरा

बिना रघुवीरा


मोरा कौन हरे दुःख पीरा

बिना रघुवीरा


चैत मास बन केशव फूलै

बैशाखे बन बेला


गोरे-गोरे बहिया आवार दार कंगना

बैशाखे बन बेला


छींटूदास जेठ कब लागिहै

वै तो आये मिले रघुवीरा

हरे दुःख पीरा ||


*** गायक - सहजराम मौर्या एन्ड पार्टी ***


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