सुब्रमण्यम भुजंगम (Subramanyam Bhujangam Lyrics in Hindi) - by Ranjani - Gayatri - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind


सुब्रमण्यम भुजंगम (Subramanyam Bhujangam Lyrics in Hindi) - 


सदा बालरूपावि विघ्नत्रिहुण्ड

महादन्ति वक्त्रापि पंचस्यामन्य

विथिन्द्रतिमरुक्य कनासपितामे

विट्ठत्तं च्रियम गबि कल्याणमूर्ति || 1 ||


न जानामि सप्तम न जानामि चारतम

न जानामि पध्यम् न जानामि कथ्यम्

सिथेका शादस्य हुरुदी दयोदते मे

मुगन्निसारन्ते क्रिस्सबि चित्रम् || 2 ||


मयूरथिरुदम महावाक्य हॉल

मनोहरीतेहं महुत्सित्थ केवम्

महीदेव देवं महावेद का पाप है

महादेवा पलं बाजे लोकाप लाम || 3 ||


यत सन्निदानं कतमनाव मे

भवं बोधिपरं कटास्थे दथैव

इथि व्यंजयं सिन्दु तिरेया अस्ते

तमिदे पवित्रं पराशक्ति पौद्रं || 4 ||


यत्पदेस्तरंगा लयं यान्ति तुंगा

तथैवपता सन्निथौ सेवाधाम मई

इतेवोर्मिबांग्तिर नृणं दर्शयन्थम

सदा भावये हुरुत्सरोजे कुहुं तम || 5 ||


ग्रौ मन्निवासे नारा येस्ति रुदा

दादा परवदे राजदे देस्ति रूदा

इटिव प्रुवन कंदासैलथी रुदा

सदावो मुदामे सदा शनमुकोस्तु || 6 ||


महाम्बोदि तिरे महबाबासोर

मुनिन्थ्रानुकुले सकान्तख्यासाइले

कुहयं वसंतं स्वभासा वसंतं

जनार्तिम हुरन्थम च्रयमो कुहुतमम् || 7 ||


लासत्स्वर्णकेहु नृणं कामतोएहु

सहमस्थोमा संचसन्न मनपक्या मंजे

समुथ्यस् शुस्रर्ग दुल्या प्रकाशम्

सातबावये कार्तिकेयं सुरेसं || 8 ||


रणट्टमसके मंजुलेत्यांदा सोने

मनोहारी लावण्या बियुषपूर्णे

मनश्शत्पथो मे भावक्लेशतप्तः

सदा मोदादम स्कन्द दे बदापतमे || 9 ||


सावर्णपतिव्यंबैरै पस्मानम्

क्वानात्किंगिनी मेगाला सोपामनम्

लसाथेमा पत्तेना विद्योतमनम्

कदीम भावये स्कन्द ते दीप्य मानम् || 10 ||


नाबोका तुंगा भारत की कुंवारी है

स्थानलिंग नासक्त कश्मीररागम

नमस्याम्यहुं तारकरे तवोरा

स्वभक्तवने सर्वत सनुरागम् || 11 ||


विदौक्लुप्त दण्डन स्वालिलात्रुदण्डन

निरस्ते बगंदन द्विषत्कालदंडन

हुतेन्द्रृशन्दन जगत्राणा सौन्दन

सदादे प्रसंदन चरे बहुदंडन || 12 ||


सदा सारदा षण्मृगां यति स्यु

समुद्यन्द एव स्थिरचेत समन्दत्

सदा पूर्णबिम्ब कलंगइसा हीना

दादा द्वंमुखानां ब्रूवे स्कंद संयम || 13 ||


स्फुरन मंतहस के सहुमसानि संजात

कडक्शावालीब्रुंगा संगो ज्वलानि

सहस्यान्ति बिम्बा तरनीसा सनो

तवलोकाय शनमुगम बोरु हानि || 14 ||


विशालेश कर्णानन्द दोषेश वजस्रम्

दयास्यानदिषा त्वदस्स विकासेशः

मयिशत् कदाक्ष सकृत पतित ससेत्

पवेथे दयासीला का नमहानी || 15 ||


सहतांगोठ भाओ मस्से जीवेदी शड्डा

जपानमन्त्रमेसो मुथा जिक्राथे यान

जगत्परापरुद्यो जगन्‍नाथ देब्‍या

किटोजवलेब्यो नमो मस्तकेब्य || 16 ||


स्पुरत्रत्ना कयुरहरब्रह्मा

च्लासैट के विरुद्ध ससलाट कुंडला

कदौ पीठवासा करे चारुशक्ति

पुरस्तं ममस्तं पुररे तनुजा || 17 ||


इहायाहि वत्जेति हुस्टन प्राजरिया

हुवायत्याधराच शंकरे मथुरांगथ

समुत्पाद्य ददं च्रयन्तं कुमारम्

हुरस्लिष्टकत्रं पजे बालमूर्तिम् || 18 ||


कुमारेसा सनो कुहू स्कंद सेना

बड़े शक्ति पणे मयूरा थिरुडा

भूलिंटमजकंठ भक्तार्थी हारिन

प्रबो तारकरे सदा रक्षमम् द्वम् || 19 ||


प्रसन्तेन्द्रिये नष्टसमक्जने विशेषे

कपोदकरी वख्त्रे बायोटगंबी खतरे

ब्यानोनमुके मय्यनाथे दथानिम्

द्रुतं मे दयालो पवग्रे कुहुत्वम् || 20 ||


कृत्तस्य ऋन्तुथ सन्देशगोप

ताहुचिंदि बिंदिथी मां दर्जायत्सा

मयूरं समारुहुफ्य मपेरिति द्वम्

पुरा शक्तिपनिर ममयाहि सीक्रम || 21 ||


प्राणम्य सकृत बदयोस्ते पडित्वा

प्रसत्य प्रबो प्रार्थनायेसनेका सप्ताह

नवक्रम क्षमोह दथानिं क्रुबब्ते

नागर्यन्थाकाले मनगप्युपेक्षा || 22 ||


सहुस्रंदा भोक्ता द्वय साज्रनाम

हुडास्तरका सिंहुवक्त्रच दैत्य

ममंदर हुरुदिस्टम मन ग्लेसमेगम्

न हमसि प्रबो किम करोमि क्वयामि || 23 ||


अहं सर्वत दुक्कपारा वसन्नो

पवन दीनबंधु सात्वतन्यं न्यासे

भवत्भक्ति रोदं सदा क्लुप्त पदं

ममतिम् धृतं नाशयोमा सहत्त्वम् || 24 ||


अपस्मार कुष्ठ क्षयर्सा ब्रमोहु

ज्वरोंमाता कुलमतिरोहण महंता

पिसासास्सा सर्वे भवत् भत्रा भूतिम्

विलोक्य क्षणथ तारा करे त्रावन्ते || 25 ||


द्रुसि स्कन्द मूर्ति च्रुतौ स्कन्दकीर्ति

मुके मे पवित्रम् सत् तचरित्रम्

करे तस्य गणनाम् वबुस्तस्य प्रद्यम्

कुएहु संधू लीना ममसेशा बावा || 26 ||


मुनिना मुतहो नृणं भक्ति बाजा

मभिष्टब्रता शांति सर्वत्र देवा

नृणामन्त्य जनमबी स्वार्थ ठाणे है

कुहथ्यवमन्यं नाजने नाजने || 27 ||


कलात्रं सदा बन्धुवर्ग पसुर्वा

नरोवदा न क्रुएहु ये मदीय

यजन्तो नमन्तो स्तुवन्तो पावनम्

स्मरण दशा ते संधू सर्वे कुमारा || 28 ||


मृगा पक्षाणो तमसकाए सतुष्टा

ददा व्यादयो पादका ये मदाने

भावाशक्ति दीक्षानगर बिना संतृप्त

वनाच्यन्दु दे सुर्निथा ग्रौंचा सैला || 29 ||


जनित पितासा स्वपुत्र परथम्

सहुदे न किं देवसेनाति नाथा

अहं सदिपलो भवन लोका दादा

क्षमास्वभारतं समस्तं महुसा || 30 ||


नाम केकिने सताये सभी दुप्यम्

नमचगा दुब्यं नाम कुकुदया

नाम सिंदवे सिन्धु देशाय दुब्यम्

पुना स्कन्द मूरते नमस्ते नमोऽस्तु || 31 ||


जयानंद भूमन जयापारा थमन

जयमोगा कीर्ति जयानन्द मूरते

जयानन्द सिन्धु जयसेबन्धु

जयत्वं सातमुक्तिथेनससज्नो || 32 ||


भुजंकाक्यवृत्तेन क्लुतं स्तवं य

बडेत् भक्तियुक्तो कुहुम् सम्प्रणाम्य

सपुत्रं कलत्रं दानं थिरकमायूर

लबेथ स्कन्दसायुज्यमन्थे नरस्सा || 33 ||


आईटी डी सुब्रह्यूमण्यं पूजनम ||


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