माँ चिंतपूर्णी चालीसा लिरिक्स (Maa Chintpurni Chalisa Lyrics in Hindi) -
श्री गणेशाय: नम :
जय मां छिनमस्तिका
चित में वसो चिंतपूर्णी
छिन्मस्तिका मात |
सात बहन की लाड़ली
हो जग में विख्यात |
माईदास पर की कृपा
रूप दिखाया श्याम|
सब की हो वरदायनी
शक्ति तुमे प्रणाम |
छिन्मस्तिका मात भवानी
कलिकाल में शुभ कलियानी|
सती आपको अंश दिया है
चिंतपूर्णी नाम किया है |
चरणों की है लीला न्यारी
चरणों को पूजा हर नर नारी |
देवी देवता नतमस्तक
चैन नाह पाये भजे न जब तक |
शांत रूप सदा मुस्काता
जिसे देख आनंद आता |
एक और कलेश्वर सजे
दूसरी और शिववाड़ी विराजे |
तीसरी और नारायण देव
चौथी और मुचकुंद महादेव|
लक्ष्मी नारायण संग विराजे
दस अवतार उन्ही में साजे|
तीनो दुवार भवन के अंदर
बैठे ब्रह्मा विष्णु ब शंकर |
काली लक्ष्मी सरस्वती मां
सत रज तम से व्याप्त हुई मां|
हनुमान योद्धा बलकारी
मार रहे भैरव किलकारी |
चौंसठ योगिनी मंगल गावे
मृदंग छैने महंत वजावे |
भवन के नीचे बाबड़ी सूंदर
जिसमे जल बेहता है झर झर |
संत आरती करे तुम्हरी
तुमेः पूजते है नर नारी |
पास है जिसके बाग निराले
जहाँ है पुष्पों की है बनमाला |
कंठ आपके माला विराजे
सुहा सुहा चोला अंग साजे|
सिंह यहाँ संध्या को आता
छिन्मस्तिका शीश नबाता|
निकट आपके है गुरुद्वारा
जो है गुरु गोबिंग का प्यारा |
रणजीत सिंह महाराज बनाया
तुम स्वर्ण का छत्र चढ़ाया |
भाव तुम्ही से भक्ति पाया
पटियाला मंदिर बनबाया |
माईदास पर कृपा करके
आई होशिअरपुर विचर के |
अठूर क्षेत्र मुगलो नेह घेरा
पिता माईदास ने टेरा|
अम्ब छेत्र के पास में आये
दोह पुत्र कृपा से पाये |
वंश माये नेह फिर पुजवाया
माईदास को भक्त बनबाया |
सो घर उसके है अपनाया
सेवारत है जो हर्षाया |
तीन आरती है मंगलमह
प्रात: मद्या और संद्यामय |
असोज चैत्र मेला लगता
पर सावन में आनंद भरता|
पान ध्वजा – नारियल चढ़ाऊँ
हलवा चन्ना का भोग लगाऊं|
छनन य चुन्नी शीश चढ़ाऊँ
माला लेकर तुम्हे ध्याऊँ|
मुझको मात विपद ने घेरा
जय माँ जय माँ आसरा तेरा|
ज्वाला से तुम तेज हो पति
नगरकोट की शवि है आती|
नयना देवी तुम्हे देखकर
मुस्काती है मैया तुम पर|
अभिलाषा मां पूरन कर दो
हे चिंतपूर्णी मां झोली भर दो|
ममता वाली पलक दिखा दो
काम क्रोध मद लोभ हटा दो |
सुख दुःख तो जीवन में आते
तेरी दया से दुःख मिट जाते |
चिंतपूर्णी चिंता हरनी
भय नाशक हो तुम भय हरनी |
हर बाधा को आप ही टालो
इस बालक को आप संभालो|
तुम्हारा आशीर्वाद मिले ज
सुख की कलियाँ खिले तब|
कहा तक तुम्हरी महिमा गाऊं
दुवार खड़ा हो विनय सुनाऊ|
चिंतपूर्णी मां मुझे अपनाओ
“सतीश ” को भव पार लगाओ
दोहा :
चरण आपके छू रहा हु चिंतपूर्णी मात |
लीला अपरंपार हे हो जगमें विख्यात ||
2.मूल मंत्र:
” ओइम ऐ ही कली श्री चामुण्डाय विच्चै:”
*** Singer - Rahul pathak ***
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