कर गुजरान ग़रीबी में लिरिक्स (Kar Gujraan Garibi Me Lyrics in Hindi) - Kabir Bhajan by Prakash Gandhi - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

कर गुजरान ग़रीबी में लिरिक्स (Kar Gujraan Garibi Me Lyrics in Hindi) - 


कर गुजरान ग़रीबी में साधो भाई

मगरूरी क्यों करता

कर गुजरान फ़कीरी में साधो भाई

मगरूरी क्यों करता


जोगी होकर जटा बढ़ावे

नंगे पाँव क्यों फिरता है रे भाई

गठड़ी बाँध सर ऊपर धर ले

यूँ क्या मालिक मिलता

कर गुजरान ग़रीबी में साधो भाई

मगरूरी क्यों करता


मुल्ला होकर बाँग पुकारे

क्या तेरा साहिब बहरा है रे भाई

चींटी के पाँव में नेवर बाजे

सो भी साहिब सुनता

कर गुजरान ग़रीबी में साधो भाई

मगरूरी क्यों करता

 

धरती आकाश गुफ़ा के अंदर

पुरुष एक वहाँ रहता है रे भाई

हाथ ना पाँव रूप नहीं रेखा

नंगा होकर फिरता

कर गुजरान ग़रीबी में साधो भाई

मगरूरी क्यों करता


जो तेरे घट में जो मेरे घट में

सबके घट में एक है रे भाई

कहे कबीर सुनो भाई साधो

हर जैसे को तैसा

कर गुजरान ग़रीबी में साधो भाई

मगरूरी क्यों करता

कर गुजरान फ़कीरी में साधो भाई

मगरूरी क्यों करता ।



  • ⇨Title : Kar Gujraan Garibi 
  • ⇨Album : Sant Sandesh
  • ⇨Singer : Prakash Gandhi
  • ⇨Music : Gandhi Brothers
  • ⇨Chorus - Anil Vats
  • ⇨Lyrics : Sant Kabirdas Ji
  • ⇨Music Label : Power Music Company
  • ⇨Category : Bhajan



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