नवार्ण मन्त्र का इतिहास (History of Navarna Mantra) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

नवार्ण मन्त्र का इतिहास (History of Navarna Mantra) :- 

नवार्ण मन्त्र का इतिहास (History of Navarna Mantra) - Bhaktilok


इस मंत्र को नवार्ण मन्त्र क्यों कहते है ?(Why is this mantra called Navarna Mantra)


ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः 


सभी मंत्रो के आगे ॐ एक दोष मुक्ति के लिये लगाया जाता है । किन्तु नवार्ण यानी  नवअर्ण” यानी अक्षर या शब्द अर्थात नवशब्दो से बाना है वो नवार्णमन्त्र । इस मंत्र के हर एक शब्द को गिने तो नव होते है । इसलिए इसे नवार्णमन्त्र कहते है ।


  • ऐं : सरस्वती का बीज मन्त्र है । 
  • ह्रीं : महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है ।
  • क्लीं : महाकाली का बीज मन्त्र है ।


नवार्ण मंत्र के प्रथम बीज मंत्र “ऐं” से माता दुर्गा की प्रथम शक्ति माता शैलपुत्री की उपासना की जाती है । इस बीज मंत्र से “सूर्य ग्रह” को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है ।

नवार्ण मंत्र के द्वितीय बीज मंत्र “ह्रीं” से माता दुर्गा की द्वितीय शक्ति माता ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है । इस बीज मंत्र से “चन्द्र ग्रह” को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है ।

नवार्ण मंत्र के तृतीय बीज मंत्र “क्लीं” से माता दुर्गा की तृतीय शक्ति माता चंद्रघंटा की उपासना की जाती है। इस बीज मंत्र से “मंगल ग्रह” को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है ।

नवार्ण मंत्र के चतुर्थ बीज मंत्र “चा” से माता दुर्गा की चतुर्थ शक्ति माता कुष्मांडा की उपासना की जाती है। इस बीज मंत्र से “बुध ग्रह” को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है ।

नवार्ण मंत्र के पंचम बीज मंत्र “मुं” से माता दुर्गा की पंचम शक्ति माँ स्कंदमाता की उपासना की जाती है। इस बीज मंत्र से “बृहस्पति ग्रह” को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है ।

नवार्ण मंत्र के षष्ठ बीज मंत्र “डा” से माता दुर्गा की षष्ठ शक्ति माता कात्यायनी की उपासना की जाती है। इस बीज मंत्र से “शुक्र ग्रह” को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है ।

नवार्ण मंत्र के सप्तम बीज मंत्र “यै” से माता दुर्गा की सप्तम शक्ति माता कालरात्रि की उपासना की जाती है। इस बीज मंत्र से “शनि ग्रह” को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है ।

नवार्ण मंत्र के अष्टम बीज मंत्र “वि” से माता दुर्गा की अष्टम शक्ति माता महागौरी की उपासना की जाती है। इस बीज मंत्र से “राहु ग्रह” को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है ।

नवार्ण मंत्र के नवम बीज मंत्र “चै” से माता दुर्गा की नवम शक्ति माता सिद्धीदात्री की उपासना की जाती है। इस बीज मंत्र से “केतु ग्रह” को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है ।

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