पाछे दिन पाछे गए हरी से किया न हेत दोहे का अर्थ (Paache Din Paache Gaye Hari Se Kiya na Het Dohe Ka Arth in Hindi) -
पाछे दिन पाछे गए हरी से किया न हेत ।
अब पछताए होत क्या, चिडिया चुग गई खेत ।
पाछे दिन पाछे गए हरी से किया न हेत दोहे का अर्थ (Paache Din Paache Gaye Hari Se Kiya na Het Dohe Ka Arth in Hindi):-
कबीर दास जी कहते हैं कि बीता समय निकल गया, आपने ना ही कोई परोपकार किया और नाही ईश्वर का ध्यान किया। अब पछताने से क्या होता है, जब चिड़िया चुग गयी खेत।
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