जब मैं था तब हरी नहीं अब हरी है मैं नाही दोहे का अर्थ(Jab Mai Tha Tab Hari Nahi Ab Hari Hai Mai Nahi Dohe Ka Arth in Hindi) -
जब मैं था तब हरी नहीं, अब हरी है मैं नाही ।
सब अँधियारा मिट गया, दीपक देखा माही ।
जब मैं था तब हरी नहीं अब हरी है मैं नाही दोहे का अर्थ(Jab Mai Tha Tab Hari Nahi Ab Hari Hai Mai Nahi Dohe Ka Arth in Hindi):-
कबीर दास जी कहते हैं कि जब मेरे अंदर अहंकारमैं था, तब मेरे ह्रदय में हरीईश्वर का वास नहीं था। और अब मेरे ह्रदय में हरीईश्वर का वास है तो मैंअहंकार नहीं है। जब से मैंने गुरु रूपी दीपक को पाया है तब से मेरे अंदर का अंधकार खत्म हो गया है।
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