माखी गुड में गडी रहे पंख रहे लिपटाए दोहे का अर्थ(Makhi Gud Me Gadi Rahe Pankh Rahe Lipataye Dohe Ka Arth in Hindi):-
माखी गुड में गडी रहे, पंख रहे लिपटाए ।
हाथ मेल और सर धुनें, लालच बुरी बलाय ।
माखी गुड में गडी रहे पंख रहे लिपटाए दोहे का अर्थ(Makhi Gud Me Gadi Rahe Pankh Rahe Lipataye Dohe Ka Arth in Hindi):-
कबीर दास जी कहते हैं कि मक्खी पहले तो गुड़ से लिपटी रहती है। अपने सारे पंख और मुंह गुड़ से चिपका लेती है लेकिन जब उड़ने प्रयास करती है तो उड़ नहीं पाती तब उसे अफ़सोस होता है। ठीक वैसे ही इंसान भी सांसारिक सुखों में लिपटा रहता है और अंत समय में अफ़सोस होता है।
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