देह धरे का दंड है सब काहू को होय दोहे का अर्थ(Deh Dhare Ka Dand Hai Sab kahu Ko Hoy Dohe Ka Arth in Hindi):-
देह धरे का दंड है सब काहू को होय ।ज्ञानी भुगते ज्ञान से अज्ञानी भुगते रोय।
देह धरे का दंड है सब काहू को होय दोहे का अर्थ(Deh Dhare Ka Dand Hai Sab kahu Ko Hoy Dohe Ka Arth in Hindi):-
देह धारण करने का दंड – भोग या प्रारब्ध निश्चित है जो सब को भुगतना होता है। अंतर इतना ही है कि ज्ञानी या समझदार व्यक्ति इस भोग को या दुःख को समझदारी से भोगता है निभाता है संतुष्ट रहता है जबकि अज्ञानी रोते हुए – दुखी मन से सब कुछ झेलता है !
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