श्री तुलसी चालीसा (Shree Tulsi Chalisa Lyrics in Hindi and English) - नमो नमो तुलसी महारानी Tulsi chalisa - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind


श्री तुलसी चालीसा (Shree Tulsi Chalisa Lyrics in Hindi ) -


।। दोहा ।।


श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय ।

जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय ।।


।। चौपाई ।।


नमो नमो तुलसी महारानी ।

महिमा अमित न जाए बखानी ।।


दियो विष्णु तुमको सनमाना ।

जग में छायो सुयश महाना ।।


विष्णु प्रिया जय जयति भवानि ।

तिहूं लोक की हो सुखखानी ।।


भगवत पूजा कर जो कोई ।

बिना तुम्हारे सफल न होई ।।


जिन घर तव नहिं होय निवासा ।

उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा ।।


करे सदा जो तव नित सुमिरन ।

तेहिके काज होय सब पूरन ।।


कातिक मास महात्म तुम्हारा ।

ताको जानत सब संसारा ।।


तव पूजन जो करैं कुंवारी ।

पावै सुन्दर वर सुकुमारी ।।


कर जो पूजा नितप्रीति नारी ।

सुख सम्पत्ति से होय सुखारी ।।


वृद्धा नारी करै जो पूजन ।

मिले भक्ति होवै पुलकित मन ।।


श्रद्धा से पूजै जो कोई ।

भवनिधि से तर जावै सोई ।।


कथा भागवत यज्ञ करावै ।

तुम बिन नहीं सफलता पावै ।।


छायो तब प्रताप जगभारी ।

ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी ।।


तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन में ।

सकल काज सिधि होवै क्षण में ।।


औषधि रूप आप हो माता ।

सब जग में तव यश विख्याता ।।


देव रिषी मुनि और तपधारी ।

करत सदा तव जय जयकारी ।।


वेद पुरानन तव यश गाया ।

महिमा अगम पार नहिं पाया ।।


नमो नमो जै जै सुखकारनि ।

नमो नमो जै दुखनिवारनि ।।


नमो नमो सुखसम्पत्ति देनी ।

नमो नमो अघ काटन छेनी ।।


नमो नमो भक्तन दु:ख हरनी ।

नमो नमो दुष्टन मद छेनी ।।


नमो नमो भव पार उतारनि ।

नमो नमो परलोक सुधारनि ।।


नमो नमो निज भक्त उबारनि ।

नमो नमो जनकाज संवारनि ।।


नमो नमो जय कुमति नशावनि ।

नमो नमो सब सुख उपजावनि ।।


जयति जयति जय तुलसीमाई ।

ध्याऊं तुमको शीश नवाई ।।


निजजन जानि मोहि अपनाओ ।

बिगड़े कारज आप बनाओ ।।


करूं विनय मैं मात तुम्हारी ।

पूरण आशा करहु हमारी ।।


शरण चरण कर जोरि मनाऊं ।

निशदिन तेरे ही गुण गाऊं ।।


करहु मात यह अब मोपर दया ।

निर्मल होय सकल ममकाया ।।


मांगू मात यह बर दीजै ।

सकल मनोरथ पूर्ण कीजै ।।


जानूं नहिं कुछ नेम अचारा ।

छमहु मात अपराध हमारा ।।


बारह मास करै जो पूजा ।

ता सम जग में और न दूजा ।।


प्रथमहि गंगाजल मंगवावे ।

फिर सुंदर स्नान करावे ।।


चंदन अक्षत पुष्प चढ़ावे ।

धूप दीप नैवेद्य लगावे ।।


करे आचमन गंगा जल से ।

ध्यान करे हृदय निर्मल से ।


पाठ करे फिर चालीसा की ।

अस्तुति करे मात तुलसी की ।।


यह विधि पूजा करे हमेशा ।

ताके तन नहिं रहै क्लेशा ।।


करै मास कार्तिक का साधन ।

सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं ।।


है यह कथा महा सुखदाई ।

पढ़ै सुने सो भव तर जाई ।।


।। दोहा ।।


यह श्री तुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय ।

गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय ।।


Post a Comment

0Comments

If you liked this post please do not forget to leave a comment. Thanks

Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !