सांसो का क्या ठिकाना रुक जाए चलते चलते भजन लिरिक्स (sanso ka kya thikana ruk jaaye chalte chalte Lyrics in Hindi) - Rajni Rajesthani - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

सांसो का क्या ठिकाना रुक जाए चलते चलते भजन लिरिक्स (sanso ka kya thikana ruk jaaye chalte chalte Lyrics in Hindi) - 


सांसो का क्या ठिकाना रुक जाए चलते चलते

प्राणो की रौशनी भी भुज जाए चलते चलते ||


जीवन है सपन जैसा दो दिन का है बसेरा

आये गई मौत निश्चित ले जाए बचते बचते

सांसो का क्या ठिकाना रुक जाए चलते चलते ||


जीवन है इक तमाशा पानी में जो बताशा

नशवर है बून्द बून्द जो घुल जाए घुलते घुलते

सांसो का क्या ठिकाना रुक जाए चलते चलते ||


आएगा एक झोका जीवन का दीप है गुल

पेड़ो पे चेह चहाती निष् पंथ है ये बुलबुल

सांसो का क्या ठिकाना रुक जाए चलते चलते ||


कितने ही घर वसाये कितने ही घर उजाड़े

साई रहा न रही सवासो के घटते घटते

सांसो का क्या ठिकाना रुक जाए चलते चलते ||


अरमान लम्बे बांधे टूटे न तार सारे

अंतिम समय में सब ही रहे हाथ मलते मलते

सांसो का क्या ठिकाना रुक जाए चलते चलते ||


आया था हाथ खाली खाली ही हाथ जाना

परिवार और प्रिये जन रह जाए रोते रोते

सांसो का क्या ठिकाना रुक जाए चलते चलते ||


स्वासो के ही सहारे जीवन के खेल सारे

सांसो का ये पिटारा झुक जाए झुकते झुकते

सांसो का क्या ठिकाना रुक जाए चलते चलते ||


संवासो के तार सारे प्रभु नाम के सहारे

बांधे गे अमर नर मर जाए हस्ते हस्ते

सांसो का क्या ठिकाना रुक जाए चलते चलते ||


सुख पुरण स्वर अवसर बे मुख यु न खोये

बिक्शन भमर से तर जा प्रभु नाम रट ते रट ते

सांसो का क्या ठिकाना रुक जाए चलते चलते ||


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