पता नहीं किस रूप में आकार नारायण मिल जाएगा भजन लिरिक्स (Pata Nahi Kis Roop Mein Aakar Narayan Mil Jayega Lyrics in Hindi) - Prem Bhushan Narci Ram Darshan - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind


पता नहीं किस रूप में आकार नारायण मिल जाएगा भजन लिरिक्स (Pata Nahi Kis Roop Mein Aakar Narayan Mil Jayega Lyrics in Hindi) - 


पता नहीं किस रूप में
आकार नारायण मिल जाएगा

निर्मल मन के दर्पण में
वाह राम के दर्शन पाएगा
पता नहीं किस रूप में
आकार नारायण मिल जाएगा

निर्मल मन के दर्पण में
वाह राम के दर्शन पाएगा
संस रुकी तेरे दर्शन को ना
दुनिया में मेरा लगता मन
शबरी बांके बैठा हूं
मेरा श्री राम में अटका मन
बेकार मेरे दिल को मैं
कितना भी समझा लूं
राम दरस के बाद दिल
छोड़ेगा ये धड़कन
काले युग प्राण हूं पर
जीता हूं मैं त्रेता युग
कर्ता हूं मेहसूस पलों
को मन ना वो देखा युग
देगा युग कलि का ये
पापोन के उपहार काई
च और मेरा पर गए
का हर प्राण को दूंगा सुख
हरि कथा का वक्ता
हूं मैं राम भजन की आदत
राम आभारी शायर
मिल जो रही है दावत

हरि कथा सुना के मैं
छोड़ तुम कल जाउंगा
बुरा मेरे ना गिरने ना
देना हरि कथा विरासत
पाने को दीदार प्रभु
के नैन बडे ये तरस है
जन सके ना कोई वेदना
रातों को ये बरसे है
किसे पता किस मौके
पे किस भूमि पे किस कोने में
मेले में या वीराने
में श्री हरि हमें दर्शन दे
पता नहीं किस रूप
में आकार नारायण मिल जाएगा

निर्मल मन के दर्पण
में वह राम के दर्शन पाएगा
पता नहीं किस रूप
में आकार नारायण मिल जाएगा

निर्मल मन के दर्पण
में वह राम के दर्शन पाएगा
पता नहीं किस रूप में आकार
इंतजार में बैठा
हूं कब बीतेगा ये कलयुग
बीतेगी ये पीड़ा
और भारी दिल के सारे दुख
मिलने को हूं बेकरार
पर पापोन का मैं भागी भी
नाज़रीन मेरी आगे
तेरे श्री हरि जाएगी झुक
राम नाम से जुड़े हैं
ऐसे खुद से भी ना मिल पाए
कोई ना जाने किस चेहरे
में राम हमें कल मिल जाए
वैसे तो मेरे दिल में हो
पर आखें प्यासी दर्शन की
शाम सवेरे सारे मौसम
राम गीत ही दिल गए
रघुवीर ये वींटी है
तुम दूर करो अंधेरों को
दूर करो परेशनी के
सारे भुखे शेरों को
शबरी बांके बैठा पर
काले युग का प्राण हूं
मैं जूता भी ना कर
पौंगा पापी मुह से बेरों को
बन चुका बैरागी दिल
नाम तेरा ही लेता है
शायर अपनी सांसें
ये राम सिया को देता है
और नहीं इच्छा है अब
जीने की मेरी राम यहां
बुरा मुझे मेरी मौत
के बस ले जाना तुम त्रेता में
राम के चरित्र में
सबको अपने घर का
अपने कश्तों का जवाब मिलता है
पता नहीं किस रूप में
आकार नारायण मिल जाएगा

निर्मल मन के दर्पण
में वह राम के दर्शन पाएगा
पता नहीं किस रूप में
आकार नारायण मिल जाएगा

निर्मल मन के दर्पण में
  वाह राम के दर्शन पाएगा।


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