चढ़ने लगा है श्याम का सुरूर खाटू चलिए

Deepak Kumar Bind

चढ़ने लगा है श्याम का सुरूर खाटू चलिए


चढ़ने लगा है श्याम का सुरूर दर्शन को दिल हुआ मजबूर खाटू चलिए चल खाटू चलिए शीश के दानी बड़ा मशहूर हम पे करेंगे कृपा ज़रूर खाटू चलिए चल खाटू चलिए अधूरा रहूं तुम बिन सांवरे संवर जाऊं दर पर जब आऊं रे ये जीवन लाम्बिया लाम्बिया रे कटे तेरे संगिया संगिया रे बाज रहा कलयुग में डंका श्याम की रेहमत का दान सभी को मिल जाता है अपनी ज़रूरत का खाली ना होते उसके ख़ज़ाने भक्तों की आँखों में मन की बात जाने साथी हो हमारे तुम सांवरे अर्ज़ी यही मैं दोहराऊं रे ये जीवन लाम्बिया लाम्बिया रे कटे तेरे संगिया संगिया रे चमका दो मैं भी हूँ तेरे आँगन का तारा सौंप दिया तुझको भी मैंने ये जीवन सारा तुमसे गुज़ारा मेरा तीन बाण धारी तुमसे ना जीत पाए ग़म की अंधियारी इतना मैं तुझ में खो जाऊं रे सब भूल कर बस ये ही गाउँ रे ये जीवन लाम्बिया लाम्बिया रे कटे तेरे संगिया संगिया रे चढ़ने लगा है श्याम का सुरूर ..............

Post a Comment

0Comments

If you liked this post please do not forget to leave a comment. Thanks

Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !