क्या इच्छा है लेके चढ़ावा भजन लिरिक्स

Deepak Kumar Bind

क्या इच्छा है लेके चढ़ावा भजन लिरिक्स


क्या वो करेगा लेके चढ़ावा,
सब कुछ त्याग के बैठा कहीं,
भक्त नहीं वो भला है ढूंढ़ता,
गुण देखे गुणगान नहीं,
मैं कहता नहीं श्रद्धा है बुरी,
पर कर्म तराजू धर्म वही,
भक्त नहीं वो भला है ढूंढ़ता,
गुण देखे गुणगान नहीं ॥

माला फेरत जुग भया,
फिरा ना मन के फेर,
कर का मनका डार दे,
मन का मनका फेर ॥

कबीर कहते हैं की,
नहाये धोये क्या हुआ,
जब मन का मैल ना जाए,
मीन सदा जल मैं रहे,
धोये बास ना जाये ॥

तू मंदिर मंदिर फिर आया,
तू नाम मंत्र सब जप आया,
जीवन में अब भी ना है सुकू,
भोले का मन में वास नहीं,
क्यूँ मन मंदिर तेरा खाली है,
क्यूँ मन मंदिर तेरा खाली है,
क्यूँ खाली खुद में झाँक कभी,
भक्त नहीं वो भला है ढूंढ़ता,
गुण देखे गुणगान नहीं,
मैं कहता नहीं श्रद्धा है बुरी,
पर कर्म तराजू धर्म वही,
भक्त नहीं वो भला है ढूंढ़ता,
गुण देखे गुणगान नहीं ॥

भोले का ये बस नाम जपे,
अरे बन भोले सा कभी मन मेरे,
भेद नहीं करता किसी में,
इसके सारे अपने जग में,
ये भोला है भंडारी है,
इसे पूरी दुनिया प्यारी है,
देवो का भी दानव का भी,
इसके मन भेद भाव नहीं,
श्रद्धा नहीं देखेगा तेरी,
श्रद्धा नहीं देखेगा तेरी,
जब मन ही तेरा साफ़ नहीं,
भक्त नहीं वो भला है ढूंढ़ता,
गुण देखे गुणगान नहीं ॥

भोला ध्यान में मगन लगे,
नहीं देख रहा ये सोच नहीं,
भक्त नहीं वो भला है ढूंढ़ता,
गुण देखे गुणगान नहीं,
मैं कहता नहीं श्रद्धा है बुरी,
पर कर्म तराजू धर्म वही,
भक्त नहीं वो भला है ढूंढ़ता,
गुण देखे गुणगान नहीं ॥

क्या वो करेगा लेके चढ़ावा,
सब कुछ त्याग के बैठा कहीं,
भक्त नहीं वो भला है ढूंढ़ता,
गुण देखे गुणगान नहीं,
मैं कहता नहीं श्रद्धा है बुरी,
पर कर्म तराजू धर्म वही,
भक्त नहीं वो भला है ढूंढ़ता,
गुण देखे गुणगान नहीं ॥

Post a Comment

0Comments

If you liked this post please do not forget to leave a comment. Thanks

Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !