हम वन के वासी भजन इन हिंदी लिरिक्स

Deepak Kumar Bind

हम वन के वासी भजन इन हिंदी लिरिक्स


वन वन डोले कुछ ना बोले सीता जनक दुलारी |

फूल से कोमल मन पर सहती दुख पर्वत से भारी |

धर्म नगर के वासी कैसे हो गये अत्याचारी |

राज धर्म के कारण लुट गयी एक सती सम नारी |


हम वन के वासी | नगर जगाने आए |

सीता को उसका खोया |

माता को उसका खोया सम्मान दिलाने आए |

हम वन के वासी नगर जगाने आए


जनक नंदिनी राम प्रिया वो रघुकुल की महारानी |

तुम्हरे अपवादों के कारण छोड़ गई रजधानी |

महासती भगवती सिया तुमसे ना गई पहचानी |

तुमने ममता की आँखों में भर दिया पीर का पानी |

भर दिया पीर का पानी |

उस दुखियां के आसूं लेकर आग लगाने आए |

हम वन के वासी नगर जगाने आए


सीता को ही नहीं राम को भी दारुण दुख दीने |

निराधार बातों पर तुमने हृदयो के सुख छीने |

पतिव्रत धरम निभाने में सीता का नहीं उदाहरण |

क्यों निर्दोष को दोष दिया

वनवास हुआ किस कारण |

न्यायशील  राजा से उसका न्याय कराने आए |

हम वन के वासी | नगर जगाने आए |


हम वन के वासी | नगर जगाने आए |

सीता को उसका खोया माता को उसका खोया |

सम्मान दिलाने आए |

हम वन के वासी | नगर जगाने आए !!

 

Post a Comment

0Comments

If you liked this post please do not forget to leave a comment. Thanks

Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !