तोरा मन दर्पण कहलाये भजन इन हिंदी लिरिक्स
तोरा मन दर्पण कहलाये,
भले, बुरे सारे कर्मों को देखे और दिखाए,
मन ही देवता मन ही इश्वर,
मन से बड़ा न कोई,
मन उजियारा ,जब जब फैले,
जग उजियारा होए,
इस उजाले दर्पण पर प्राणी,
धूल ना जमने पाए,
तोरा मन दर्पण कहलाये ,
सुख की कलियाँ, दुःख के कांटे,
मन सब का आधार,
मन से कोई बात छुपे न,
मन के नैन हजार,
जग से चाहे भाग ले कोई मन से भाग न पाये,
तोरा मन दर्पण कहलाये !!
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