मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने भजन इन हिंदी लिरिक्स

Deepak Kumar Bind

 मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने भजन इन हिंदी लिरिक्स



 मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने 

मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने 

क्या जाने कोई क्या जाने 

मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने 

मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने 


छवि लगी मन श्याम की जब से 

भई बावरी मैं तो तब से 

बाँधी प्रेम की डोर मोहन से

नाता तोड़ा मैंने जग से

ये कैसी पागल प्रीत ये दुनिया क्या जाने

ये कैसी निगोड़ी प्रीत ये दुनिया क्या जाने


क्या जाने कोई क्या जाने या क्या जाने 

मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने 


मोहन की सुन्दर सूरतिया 

मन में बस गयी मोहनी मूरतिया 

जब से ओढ़ी शाम चुनरिया 

लोग कहे मैं भई बावरिया 

मैंने छोड़ी जग की रीत ये दुनिया क्या जाने 


क्या जाने कोई क्या जाने 

मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने

मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने


हर दम अब तो रहूँ मस्तानी 

लोक लाज दीनी बिसरानी 

रूप राशि अंग अंग समानी

हे रत हे रत रहूँ दीवानी 

मई तो गाऊँ ख़ुशी के गीत ये दुनिया क्या जाने


क्या जाने कोई क्या जाने 

मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने 

मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने 


मोहन ने ऐसी बंसी बजायी 

सब ने अपनी सुध बिसरायी -

गोप गोपिया भागी आई 

लोक लाज कुछ काम न आई 

फिर बाज उठा संगीत ये दुनिया क्या जाने 


क्या जाने कोई क्या जाने 

मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने

मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने 


भूल गयी कही आना जाना 

जग सारा लागे बेगाना 

अब तो केवल शाम सुहाना 

रूठ जाये तो उन्हें मनाना

अब होगी प्यार की जीत ये दुनिया क्या जाने


क्या जाने कोई क्या जाने 

मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने 

मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने


हम प्रेम नगर की बंजारन 

जप तप और साधन क्या जाने

हम शाम के नाम की दीवानी 

नित नेम के बंधन क्या जाने

ब्रह्म ज्ञान की उलझन क्या जाने

ये प्रेम की बाते है उद्धव 

कोई क्या समझे कोई क्या जाने 

मेरे और मोहन की बातें

या मै जानू या वो जाने 


क्या जाने कोई क्या जाने

मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने

मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने


शाम तन शाम मन शाम हैं हमारो धन 

आठो याम पूछो हमें शाम ही सो काम हैं 

शाम हिये शाम पिए शाम बिन नाही जिए

आंधें की सी लाकडी आधार शाम नाम है 

शाम गति शाम मति शाम ही हैं प्राणपति 

शाम सुख दायी सो भलाई आठो याम हैं


उद्धव तुम भये बवरे पाथी ले के आये दोड़े 

हम योग कहा राखे यहाँ रोम रोम शाम है 


क्या जाने कोई क्या जाने 

मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने

मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने !!

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