तुम्हे जाने सकल संसार सुनी है तेरी जादूगरी
तुम्हे जाने सकल संसार सुनी है तेरी जादूगरी
मांझी मुझ पे करो ये उपकार हमे जाना है गंगा के पार
आये है छोड़ अवध पूरी सुनी है तेरी जादूगरी
जिन चरणों से गंगा निकली बलि का मान बढ़ाये
जिन चरणों की पूजा करके ऋषि मुनि सत्गति पाए
वही चरण इसी गंगा तट पर चाहत नाव मेरी
सुनी है तेरी जादूगरी
कर्म तुम्हारा मैं न जानू केवट तुम हो ग्यानी
अपने मन की बात कहो तुम छोड़ो बात पुरानी
हम को दूर बहुत जाना है लखन जिया संग ऋ
सुनी है तेरी जादूगरी
इन चरणों की रज से बन गई पत्थर की शिला नारी,
इन्हे पखारे बिन हे भगवन कैसे पार उतारी
ना मैं मांगू सोना चांदी ना धन की गठरी
सुनी है तेरी जादूगरी
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