महाकुंभ में हर पाप का प्रक्षालन (mahaakumbh mein har paap ka prakshaalan lyrics in hindi) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

महाकुंभ में हर पाप का प्रक्षालन (mahaakumbh mein har paap ka prakshaalan lyrics in hindi) - 


"महाकुंभ में हर पाप का प्रक्षालन" एक प्रसिद्ध भजन है, जो कुम्भ मेला के महत्व और उसमें स्नान के द्वारा पापों के प्रक्षालन के बारे में गाया जाता है। यह भजन भक्तों के दिलों में आस्था और श्रद्धा को जागृत करता है।


महाकुंभ में हर पाप का प्रक्षालन

महाकुंभ में हर पाप का प्रक्षालन।

जो भी स्नान करे, उसका होता कल्याण।

पापी भी हो जाए, पुण्य का वरण।

महाकुंभ में हर पाप का प्रक्षालन।।


हर हर गंगे, हर हर गंगे

पापों का नाश हो, हर हर गंगे।

हर हर गंगे, हर हर गंगे।

पापों का नाश हो, हर हर गंगे।।


सभी पापों का नाश होता है यहाँ

हर कोई यहाँ पाता है सुख का बखान।

गंगा के तट पर मिले हर दिल को शांति।

महाकुंभ में हर पाप का प्रक्षालन।।


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